बेटे की मौत के बाग से दुखी रहने वाली बहु का ससुर ने शादी करायी. ससुर ने लड़का खोज कर बहू की सिर्फ शादी ही नहीं करायी, बल्कि कन्यादान कर पिता का फर्ज निभाया. वहीं 3 साल के अपने पोते को बेटे की याद के रूप में अपने पास रखा.

छपराः सारण जिले के सोनपुर प्रखंड में एक ससुर ने अपनी विधवा बहू (28) का कन्यादान कर अनूठी मिसाल पेश किया. ससुर ने अपनी मौजूदगी में हरिहरनाथ मंदिर में बहू का विवाह संपन्न कराया. वहीं उसके भैंसुर ने एक भाई का रिश्ता निभाते हुए अपने छोटे भाई की पत्नी के विदाई की रस्म को अदा किया. ससुराल पक्ष की ओर से उठाये गए इस कदम का पूरे इलाके में सराहना हो रही है.

“पुत्र की मृत्यु के बाद बहू काफी उदास रहने लगी थी. इसको लेकर सभी परिवार वालों को चिंता होने लगी. सभी परिवार वालों के रजामंदी के बाद विधवा बहू को पुत्री समान कन्यादान कर सुखमय जीवन के लिए दुबारा शादी सम्पन्न कराया. शादी के दौरान गांव के तमाम बुद्धिजीवी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे”-सुरेंद्र प्रसाद साह

बीमारी से 2021 में हुई थी पत्नी की मौतः स्थानीय लोगों ने बताया बताया कि गोला बाजार के अशोक साह की पुत्री चांदनी कुमारी की शादी दिसंबर 2017 में परमानंदपुर के शिवपुर गांव में सुरेंद्र प्रसाद साह के पुत्र चंदन कुमार के साथ हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी. चंदन दिल्ली के एक प्राइवेट कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम करता था. दिल्ली में अचानक से तबियत खराब होने के बाद दो महीने तक उनका इलाज चला. इसके बाद 9 जून 2021 को बीमारी से मृत्यु हो गई.

पति के मौत के बाद उदास रहती थी चांदनीः इसके बाद से चांदनी उदास रहने लगी. उसके ससुर-भैंसुर के अलावा घर के सदस्यों की ओर से खुशहाल रखने की कोशिश किया जाता रहा, लेकिन कोई असर नहीं हुआ. विधवा बहु चांदनी को जीवन में खुशहाल न देखकर ससुर ने अपने बहू के शादी अन्य जगह पर कराने का निर्णय लिया. लड़का खोजने की सिलसिला शुरू कर दिया.

चांदनी और चंदन का 3 साल है बेटा हैः लंबे खोजबीन के बाद राजस्थान के झुनझुन जिला निवासी रोशन लाल के पुत्र नवीन कुमार शाह से विवाह तय हुआ. बाबा मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से विवाह सम्पन्न कराया गया. इसमें ससुर ने बेटी की तरह बहू का कन्यादान किया. वहीं उसके भैंसुर व परिवार के लोगों ने घर के सदस्यों की तरफ से इस शादी कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. चांदनी और चंदन से एक पुत्र (3 साल) है. उसे ससुर सुरेंद्र प्रसाद साह ने अपने पास अपने पुत्र की अमानत को रखकर अपने विधवा बहू को अपनी बेटी की तरफ विदाई किया.

“वह बहुत खुशकिस्मत है कि उसे इतने अच्छे ससुराल वाले मिले. चंदन के जाने के बाद जिंदगी बोझ सी लगने लगी थी. कभी सोचा नहीं था कि नई शुरूआत का पाऊंगी. लेकिन ससुर-भैंसुर ने पिता और भाई का फर्ज निभाया और विधवा बहू को बेटी मानकर मेरी शादी करवाई.”- चांदनी

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