26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. अब उन्हें प्रधानमंत्री बने 8 साल पूरे हो रहे हैं. इन 8 सालों में देश में अर्थव्यवस्था से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा और खेती-किसानी से लेकर महंगाई तक, क्या-कुछ बदला? जानें इस रिपोर्ट में…

तारीख- 13 सितंबर 2013. दिन- शुक्रवार. दिल्ली में बीजेपी दफ्तर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होनी थी. तब राजनाथ सिंह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. राजनाथ सिंह कैमरे के सामने आए और उन्होंने नरेंद्र मोदी को बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया. तब राजनाथ सिंह ने कहा था कि पूरे देश की जनता की भावना को देखते हुए पार्टी ने ये फैसला लिया है. उस प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले तक लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के पीएम इन वेटिंग थे, लेकिन बाजी नरेंद्र मोदी ने मार ली. 

मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार’ और ‘हम मोदी जी को लाने वाले हैं, अच्छे दिन आने वाले हैं’ जैसे नारे गूंजने लगे. जनता कांग्रेस सरकार से नाराज थी. 2014 में लोकसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने 282 सीटों पर जीत हासिल की. ये पहली बार था जब किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने बहुमत हासिल किया था. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. 

पांच साल बाद 2019 में लोकसभा चुनाव हुए. माना जा रहा था कि बीजेपी इस बार 2014 जैसा करिश्मा नहीं दिखा पाएगी. लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी के लिए 2014 से भी बड़ी जीत लेकर आए. 2019 में बीजेपी ने अकेले दम पर 303 सीटें जीतीं. नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने. 

मोदी सरकार को अब देश की सत्ता पर काबिज हुए 8 साल हो गए हैं. इन 8 सालों में बहुत कुछ बदल गया है. भारत की जीडीपी लगभग दोगुनी हो गई है. आम आदमी की कमाई भी लगभग दोगुनी हो गई है. महंगाई भी बढ़ी है और वो भी बेतहाशा. मोदी सरकार के इन 8 साल में कितने ‘अच्छे दिन’ आए? पढ़ें, इस रिपोर्ट में…

अर्थव्यवस्था का क्या हुआ?

नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, तब भारत की जीडीपी 112 लाख करोड़ रुपये के आसपास थी. आज भारत की जीडीपी 232 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. प्रधानमंत्री मोदी ने 2025 तक भारत की जीडीपी 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का टारगेट रखा है. हालांकि, अभी के हालात को देखते हुए ये टारगेट तय समय तक पूरा होना मुश्किल है. 

मोदी सरकार में आम आदमी की कमाई में बड़ा इजाफा हुआ है. मोदी सरकार से पहले आम आदमी की सालाना आय 80 हजार रुपये से भी कम थी. अब वो 1.50 लाख रुपये से ज्यादा है. ये बात अलग है कि भारत में अब भी 80 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो गरीब हैं. 

मोदी सरकार में विदेशी मुद्रा भंडार ढाई गुना तक बढ़ा है. कारोबार करने और अपनी मुद्रा को मजबूत बनाए रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार जरूरी होता है. अभी देश में 45 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का विदेशी मुद्रा भंडार है. हालांकि, बीते कुछ हफ्तों से इसमें लगातार गिरावट भी आ रही है.

प्रधानमंत्री मोदी ‘मेक इन इंडिया’ का नारा लेकर आए थे. इसका मकसद था दुनिया में भारत की बनी चीजों को भेजना. हालांकि, भारत अब भी एक्सपोर्ट से ज्यादा इम्पोर्ट करता है. बीते 8 साल में एक्सपोर्ट में 10 लाख करोड़ रुपये भी नहीं बढ़े हैं. 2021-22 में भारत ने 28 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का सामान एक्सपोर्ट किया था, जबकि 2014 में 19.05 लाख करोड़ का एक्सपोर्ट हुआ था.

मोदी सरकार में विदेशी कर्ज भी बढ़ा है. हर साल औसतन 25 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज भारत पर बढ़ा है. मोदी सरकार से पहले देश पर करीब 409 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो अब बढ़कर डेढ़ गुना यानी करीब 615 अरब डॉलर पहुंच गया है. 

2,नौकरियों का क्या हुआ?

चाहे कोई भी सरकार रहे, नौकरियों को लेकर सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड उतना अच्छा नहीं रहता है. मोदी सरकार में बेरोजगारी दर जमकर बढ़ी है. बेरोजगारी के आंकड़ों पर नजर रखने वाली निजी संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक, अभी देश में करीब 40 करोड़ लोगों के पास रोजगार है. वहीं, मोदी सरकार के आने से पहले 43 करोड़ लोगों के पास रोजगार था.

CMEI की हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि भारत में अभी 90 करोड़ लोग नौकरी के लिए योग्य हैं. इनमें से 45 करोड़ लोगों ने नौकरी की तलाश करना ही छोड़ दिया.  

यहां तक कि, 2019 के चुनाव के बाद सरकार के ही एक सर्वे में सामने आया था कि देश में बेरोजगारी दर 6.1% है. ये आंकड़ा 45 साल में सबसे ज्यादा था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मोदी सरकार के आने से पहले देश में बेरोजगारी दर 3.4% थी, जो इस समय बढ़कर 8.7% हो गई है. 

3.शिक्षा का क्या हुआ? 

किसी भी देश के विकास के लिए अच्छी शिक्षा बहुत जरूरी है. मोदी सरकार में शिक्षा का बजट तो बढ़ा है, लेकिन ज्यादा नहीं. 8 साल में शिक्षा पर खर्च 20 हजार करोड़ रुपये ही बढ़ा है. इतना ही नहीं, देश में 9 हजार स्कूल भी कम हो गए हैं. मोदी सरकार के आने से पहले देश में 15.18 लाख स्कूल थे, जो अब घटकर 15.09 लाख हो गए हैं. 

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के मुताबिक, देश में अभी भी करीब 30 फीसदी महिलाएं और 15 फीसदी पुरुष अनपढ़ हैं. 10 में से 6 लड़कियां 10वीं से ज्यादा नहीं पढ़ पा रही हैं. वहीं, 10 में से 5 पुरुष ऐसे हैं जो 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ रहे हैं. 

स्कूली शिक्षा में भारत भले ही अब भी कमजोर है. लेकिन, मोदी सरकार में मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस की सीट, दोनों की ही संख्या बढ़ी है. अभी देश में 596 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें 88 हजार से ज्यादा एमबीबीएस की सीटें हैं. 

4.स्वास्थ्य का क्या हुआ?

कोरोना ने बता दिया कि किसी देश के लिए मजबूत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर कितना जरूरी है. मोदी सरकार में स्वास्थ्य बजट में 130 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. इस साल स्वास्थ्य के लिए सरकार ने साढ़े 86 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट रखा है. 

मोदी सरकार में डॉक्टर्स की संख्या में 4 लाख से ज्यादा का इजाफा हुआ है. पिछले साल दिसंबर में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि नवंबर 2021 तक की स्थिति के अनुसार, देश में 13.01 लाख एलोपैथिक डॉक्टर्स हैं. इनके अलावा 5.65 लाख आयुर्वेदिक डॉक्टर्स भी हैं. इस हिसाब से हर 834 लोगों पर एक डॉक्टर है.

5.खेती-किसानी का क्या हुआ?

मोदी सरकार में किसानों का सबसे बड़ा आंदोलन हुआ. ये आंदोलन एक साल से ज्यादा चला. किसानों के आंदोलन के बाद मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था. 

किसानों का एमएसपी को लेकर भी विरोध था. आंकड़ों के मुताबिक, मोदी सरकार में प्रति क्विंटल गेहूं पर 665 रुपये और चावल पर 630 रुपये एमएसपी बढ़ी है. 

मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की कमाई दोगुनी करने का वादा किया था. अभी 2022 के आंकड़े नहीं आए हैं. लेकिन, बजट सत्र में लोकसभा में एग्रीकल्चर पर बनी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी. 

इस रिपोर्ट में बताया था कि 2018-19 में किसानों की हर महीने की कमाई 10,248 रुपये है, जबकि इससे पहले किसानों की कमाई और खर्च पर 2012-13 में सर्वे हुआ था. उस सर्वे में सामने आया था कि किसानों की महीनेभर की कमाई 6,426 रुपये है.

6.महंगाई का क्या हुआ?

‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार’ 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का ये नारा था. लेकिन मोदी सरकार में महंगाई बेतहाशा बढ़ी है. महंगाई दर मई 2014 के बाद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. 

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तो आग लग गई है. 8 साल में पेट्रोल की कीमत 30 रुपये और डीजल की कीमत 40 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा बढ़ी है. 

पेट्रोल-डीजल के अलावा गैस सिलेंडर की कीमत भी तेजी से बढ़ी है. मोदी सरकार से पहले सब्सिडी वाला सिलेंडर 414 रुपये में मिलता था. अब सिलेंडर पर नाममात्र की सब्सिडी मिलती है. अभी रसोई गैस सिलेंडर की कीमत हजार रुपये तक पहुंच गई है. 

इतना ही नहीं, 8 साल में एक किलो आटे की कीमत 48%, एक किलो चावल की कीमत 31%, एक लीटर दूध की कीमत 40% और एक किलो नमक की कीमत 35% तक बढ़ गई है. 

अब प्रधानमंत्री मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखने की है. पहले कोरोना महामारी और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर में आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ गई है. भारत ही नहीं, दुनियाभर में महंगाई बढ़ती जा रही है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रहीं हैं. अब प्रधानमंत्री मोदी को इन्हीं सब चुनौतियों से पार पाना है.

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