सहरसा जिले के नौहट्टा प्रखंड से एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है, जहां काशीमपुर पंचायत में जिला परिषद द्वारा कराए गए सड़क निर्माण कार्य में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। मामला पंचम राज्य वित्त आयोग योजना के तहत कराए गए सड़क निर्माण से जुड़ा है, जिसने ग्रामीण विकास कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार काशीमपुर पंचायत के पुरुषोत्तमपुर टोला में मुखिया के घर से लेकर बजरंगबली मनजय पंडित के घर तक जाने वाली सड़क का निर्माण कराया गया है। इस सड़क निर्माण पर करीब 9 लाख रुपये की लागत बताई जा रही है। उद्देश्य था कि ग्रामीणों को एक मजबूत, टिकाऊ और हर मौसम में चलने योग्य सड़क मिले, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग नजर आ रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण कार्य में मानकों की खुलेआम अनदेखी की गई है। नियमों के अनुसार सड़क की मोटाई और गुणवत्ता ऐसी होनी चाहिए थी कि वह लंबे समय तक टिक सके, लेकिन मौके पर महज लगभग 2 इंच मोटी पीसीसी सड़क बनाई गई है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क बनने के कुछ ही दिनों बाद उसमें दरारें पड़ने लगी हैं और कई जगहों पर टूट-फूट साफ दिखाई दे रही है। इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि आने वाले समय में यह सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकती है।
स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और कार्य की निगरानी में लापरवाही बरती गई। ग्रामीणों का कहना है कि कागजों में भले ही सड़क मजबूत दिखाई गई हो, लेकिन जमीनी हकीकत बेहद कमजोर है। इसको लेकर पंचायत में आक्रोश का माहौल है और लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और संबंधित विभाग से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। साथ ही दोषी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और संवेदक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी उठाई गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जांच में अनियमितता की पुष्टि होती है तो सड़क को मानक के अनुसार दोबारा बनाया जाए, ताकि पंचायतवासियों को राहत मिल सके।
फिलहाल यह देखना अहम होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर आरोप पर क्या रुख अपनाता है और क्या ग्रामीणों को भ्रष्टाचार से निजात मिल पाती है या नहीं।
