बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से पहले सामने आई एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) की रिपोर्ट ने राज्य की राजनीति की हकीकत को एक बार फिर उजागर कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण में मैदान में उतरे 1,303 उम्मीदवारों में से 423 यानी 32 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 354 उम्मीदवार, यानी 27 प्रतिशत, गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी हैं।

 

रिपोर्ट बताती है कि 33 उम्मीदवारों पर हत्या के मामले दर्ज हैं, जबकि 86 उम्मीदवार हत्या के प्रयास जैसे गंभीर अपराधों के आरोपी हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में भी आंकड़े चिंताजनक हैं—42 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप हैं और दो उम्मीदवारों पर दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप दर्ज हैं।

 

अब बात करते हैं राजनीतिक दलों की। जनसुराज पार्टी के 114 उम्मीदवारों में से 50 (44 प्रतिशत) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 89 में से 18 (20 प्रतिशत), राजद के 70 में से 53 (76 प्रतिशत), जदयू के 57 में से 22 (39 प्रतिशत), भाजपा के 48 में से 31 (65 प्रतिशत), आम आदमी पार्टी के 44 में से 12 (27 प्रतिशत), और कांग्रेस के 23 में से 15 (65 प्रतिशत) उम्मीदवारों पर भी मुकदमे चल रहे हैं।

 

वामपंथी दलों की स्थिति और भी चिंताजनक है। भाकपा (माले) के 14 में से 13 उम्मीदवारों (93 प्रतिशत), भाकपा के सभी 5 उम्मीदवारों (100 प्रतिशत), और माकपा के सभी 3 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। लोजपा (रामविलास) के 13 उम्मीदवारों में से 7 (54 प्रतिशत) पर भी केस दर्ज हैं।

 

अगर केवल गंभीर मामलों की बात करें, तो राजद के 60%, भाजपा के 56%, भाकपा (माले) के 64%, कांग्रेस के 52%, जनसुराज पार्टी के 43% और लोजपा (रामविलास) के 38% उम्मीदवार गंभीर अपराधों में लिप्त हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि अपराध और राजनीति का गठजोड़ अभी भी बिहार की सियासत से अलग नहीं हुआ है।

 

संपत्ति के लिहाज से देखें तो 1,303 उम्मीदवारों में से 519 यानी 40 प्रतिशत करोड़पति हैं। उम्मीदवारों की औसत घोषित संपत्ति करीब 3.26 करोड़ रुपये है। सबसे ज्यादा संपत्ति वाले उम्मीदवारों में कई दिग्गज नाम शामिल हैं, जबकि कुछ उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति लाखों में बताई है।

 

शैक्षणिक योग्यता के मामले में 519 उम्मीदवारों ने स्वयं को पांचवीं से बारहवीं पास बताया है, जबकि 651 उम्मीदवार स्नातक या उससे अधिक शिक्षित हैं। वहीं महिला उम्मीदवारों की हिस्सेदारी केवल नौ प्रतिशत है, जो राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।

 

बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 121 सीटों पर 6 नवंबर को और दूसरे चरण में 122 सीटों पर 11 नवंबर को वोटिंग होगी। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी।

 

एडीआर की यह रिपोर्ट एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या बिहार की राजनीति अपराधमुक्त हो पाएगी, या फिर जनता को बार-बार वही पुराने चेहरे और वही आरोप झेलने होंगे।

 

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