बिहार में ऐसा पहली बार हुआ है जब गाय के गोबर का इस्तेमाल इस रूप में किया जा रहा है। देशभर में प्राकृतिक पेंट के नाम से नाम से जाना जा रहा है। जबकि नालंदा में यह प्राकृतिक पेंट की यूनिट बायो ऑर्गेनिक पेंट के नाम से चलाया जा रहा है।
नालंदा में गाय के गोबर से पेंट बनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत नालंदा के एकंगरसराय प्रखंड स्तिथ तेलिया बीघा गांव निवासी संजय कुमार के द्वारा गांव में ही छोटा सा यूनिट लगाकर पेंट बनाने का काम किया जा रहा है।
यह प्लांट खादी इंडिया द्वारा प्रधानमंत्री एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम के तहत जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना के तहत यह प्लांट लगाया गया है।
फिलहाल यहां एक यूनिट लगाई गई है, जिसमें 24 घंटे में 4000 लीटर पेंट बनाने की क्षमता है, फिलहाल यहां 2000 लीटर पेंट हर दिन बन रहे हैं।
क्या है गोबर से बने पेंट की खासियत?
गाय के गोबर से बने पेंट को अष्ट लाभ का भी नाम दिया गया है। उसके पीछे इसे पर्यावरण पूरक, जीवाणु रोधक, एंटीफंगल, भारी धातुओं से मुक्त, गंधहीन, उष्णता रोधक, विषरहित एवं किफायती बताया गया है।
गाय के गोबर से बने पेंट जीवाणु और फंगस को रोकने में सक्षम है। इसके अलावा बाहरी गर्मी को भी रोकता है। इसे बनाने में विषैले पदार्थों का समावेश नहीं किया गया है एवं घरों में पेंट होने के उपरांत इससे किसी प्रकार का गंध भी नहीं आता है।
इसके अलावा मार्केट में मिलने वाले रसायनिक पेंट से भी यह काफी किफायती दर पर उपलब्ध है।
जानिए, कैसे बनता है यह पेंट?
पेंट को बनाने के लिए सर्वप्रथम गाय के गोबर को एजिटेटर में गोबर और पानी के बराबर मात्रा को डाला जाता है। जिसके बाद इसे ट्रिपल डिस्क रिफाइनरी में डालकर सेलरी बनाया जाता है।
सेलरी में टालक और कैल्शियम कंपोनेंट डालकर पेंट का बेस तैयार किया जाता है जिससे इमल्शन और डिस्टेंपर बनाया जाता है।
क्या बोले यूनिट के संचालक?
संजय कुमार बताते हैं कि घरों की दीवारों और फर्शों पर गोबर के लेप या उपचार की पुरानी भारतीय परंपरा से प्रेरित होकर एक अभिनव उदम ने पर्यावरण के अनुकूल खादी प्राकृतिक पेंट तैयार किया है।
प्राचीन काल से चली आ रही पुरानी पद्धति को आधुनिक उत्पादों में नया स्वरूप देकर खादी प्राकृतिक रंग बनाया गया है। इसमें मुख्य कच्चा माल गाय का गोबर है।
गाय के गोबर को वैज्ञानिक रूप से संशोधित करके डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट बनाया गया है। इस पेंट के आठ प्रकार के लाभ है यानी आठ प्रकार के प्राकृतिक लाभ है।
यह पेंट दीवारों के लिए एक आदर्श सुरक्षा कवच बनता है। जलरोधक और टिकाऊ होता है। यह पेंट उपयोग के 4 घंटे बाद सूख जाता है तथा BIS मानकों द्वारा प्रमाणित है।
फिलहाल इस यूनिट में गांव के कुल 4 लोगों को रोजगार दिया गया है। आसपास के गांव से गाय के गोबर की भी खरीदारी की जा रही है, जिससे पशुपालकों को भी लाभ पहुंच रहा है। 1 लीटर पेंट बनाने में करीब 30 से 40% गाय के गोबर का उपयोग होता है।