भागलपुर: शहर के तिलकामांझी स्थित मेडिफोर्ट अस्पताल में आज एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें जनजातीय बच्चों के हृदय रोग की निःशुल्क जांच की गई। इस विशेष शिविर का आयोजन जीवन जागृति सोसायटी, इंडियन अकैडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (आईएपी) भागलपुर शाखा एवं नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
इस शिविर में कोलकाता के नारायण हॉस्पिटल से आए प्रसिद्ध शिशु हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अमिताभ चट्टोपाध्याय एवं डॉ. ऋषिका मेहता ने करीब 45 बच्चों की ईकोकार्डियोग्राफी जांच की। इन जांचों में यह सामने आया कि 35 बच्चे किसी न किसी प्रकार के हृदय रोग से पीड़ित हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर पाई गई और उन्हें शीघ्र सर्जरी की आवश्यकता है।

डॉ. चट्टोपाध्याय ने व्यक्तिगत रूप से सभी बच्चों की जाँच की और रोग की गंभीरता के अनुसार परामर्श दिया। उन्होंने बताया कि चयनित बच्चों के इलाज की योजना बनाई जा रही है। इन बच्चों की सर्जरी के लिए खर्च का एस्टीमेट तैयार कर बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाएगा। सरकार की स्वीकृति के बाद नारायण सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कोलकाता में इनका मुफ्त ऑपरेशन कराया जाएगा। जरूरत पड़ने पर अन्य एनजीओ से भी सहयोग लिया जाएगा ताकि किसी बच्चे का इलाज पैसे के अभाव में रुक न जाए।
जीवन जागृति सोसायटी एवं नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल द्वारा यह सेवा पिछले आठ वर्षों से लगातार जारी है। इस दौरान अब तक लगभग 300 बच्चों का सफलतापूर्वक निःशुल्क ऑपरेशन किया जा चुका है, जो जनजातीय और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए एक बड़ी राहत है।
इस शिविर को सफल बनाने में शहर के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र कुमार का विशेष सहयोग रहा। उन्होंने न केवल मार्गदर्शन दिया, बल्कि आयोजन के हर चरण में सक्रिय भूमिका निभाई। कार्यक्रम में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आर. के. मिश्रा एवं डॉ. अंकुर प्रियदर्शी ने भी विशेष योगदान दिया।
सोसायटी के सचिव श्री सोमेश यादव ने सभी चिकित्सकों, प्रतिभागियों एवं स्वयंसेवकों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों को हृदय रोग जैसी जटिल बीमारी से मुक्त कराने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भविष्य में भी इस तरह के चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाते रहेंगे।
इस शिविर से जहां अनेक बच्चों को नया जीवन मिलने की उम्मीद जगी है, वहीं समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। यह प्रयास निश्चित ही एक उदाहरण बन कर उभर रहा है कि समर्पण और सहयोग से किसी भी कठिन कार्य को सरल बनाया जा सकता है।
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