सहरसा। बिहार अनुसचिवीय कर्मचारी संघ, सहरसा शाखा के बैनर तले लिपिकीय संवर्ग की हड़ताल शुक्रवार को पांचवें दिन भी जारी रही। हड़ताल का मुख्य कारण कर्मचारियों की दस सूत्री मांगें हैं, जिनमें वेतन विसंगति, पदोन्नति, सेवा शर्तों में सुधार और बेहतर कार्य परिवेश शामिल हैं। कर्मचारियों ने सरकार से शीघ्र समाधान की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर तुरंत पहल नहीं हुई तो आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।
समाहरणालय से लेकर प्रखंड स्तर तक हड़ताल का असर दिखाई दे रहा है। हड़ताल के कारण कार्यालय का अधिकांश कामकाज ठप है और आम जनता को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति प्रशासनिक कार्यों के सुचारू संचालन को प्रभावित कर रही है।
संघ के संयोजक रणविजय झा ने कहा कि जब तक सरकार सहानुभूतिपूर्वक विचार कर सम्मानजनक समझौता वार्ता और ठोस लिखित आश्वासन नहीं देती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि लंबे समय से वेतन विसंगति, पदोन्नति की प्रक्रिया में देरी और सेवा शर्तों में सुधार की मांगें अनसुलझी हैं, जिसके चलते कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ा है।
आज के धरना-प्रदर्शन की अध्यक्षता अरविंद कुमार मिश्र, प्रधान लिपिक (सत्तरकटैया अंचल) ने की। इस दौरान दर्जनों कर्मचारी और पदाधिकारी नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को जोर-शोर से व्यक्त कर रहे थे। कर्मचारियों ने कहा कि उनका आंदोलन सिर्फ व्यक्तिगत हितों के लिए नहीं, बल्कि सभी लिपिकीय कर्मचारियों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए है।
धरना में उपस्थित प्रमुख कर्मचारियों में अनिल कुमार, श्यामल किशोर, अरन कुमार मिश्रा, चांदनी कुमारी, अभिषेक कुमार ठाकुर, संजय कुमार, राजू हेंब्रम, रमेश मंडल, अब्दुल हन्नान, ज्योति शंकर, मनीष सिंह, संतोष कुमार, शंकर, हेमचंद्र कुमार, सद्दाम हुसैन, चंदन, शिखा कुमारी, पूनम सिंह, रविन्द्र कुमार, प्रयाग कुमार और सत्यनारायण कुमार शामिल रहे। उन्होंने न केवल हड़ताल की गंभीरता दर्शाई, बल्कि यह संदेश भी दिया कि उनके आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता।
कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती और जल्द समाधान नहीं करती, तो आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि कर्मचारियों की समस्याओं का शीघ्र समाधान सुनिश्चित किया जाए, ताकि कार्यालय और प्रखंड स्तर पर कार्य सुचारू रूप से चल सके।
हड़ताल के कारण समाहरणालय में पंजीकरण, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और अन्य प्रशासनिक कार्य प्रभावित हुए हैं। आम जनता को दस्तावेजों के सत्यापन और अन्य सरकारी सेवाओं में देरी का सामना करना पड़ रहा है। इस हड़ताल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लिपिकीय कर्मचारियों की समस्याएं अब गंभीर ध्यान की मांग करती हैं और सरकार के लिए इसे अनदेखा करना मुश्किल है।
सहरसा में जारी इस हड़ताल ने प्रशासन और सरकार के सामने कर्मचारियों की दस सूत्री मांगों के प्रति तत्काल कार्रवाई की जरूरत को उजागर किया है। कर्मचारी संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका संघर्ष केवल अपने अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि सभी लिपिकीय कर्मचारियों के सम्मान और न्याय सुनिश्चित करने के लिए है।
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