बिहार के गोपालपुर प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। यह स्वास्थ्य केंद्र स्थानीय निवासियों के लिए एकमात्र आशा की किरण है, लेकिन यहां चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी से यह अपनी भूमिका निभाने में असमर्थ हो रहा है। सरकार द्वारा तय मानकों के अनुसार इस केंद्र पर 12 चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए, लेकिन हकीकत यह है कि यहां एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक कार्यरत नहीं है, और सामान्य चिकित्सकों की स्थिति भी दयनीय है।

चिकित्सकों की भारी कमी
स्वास्थ्य विभाग द्वारा सीएचसी गोपालपुर में छह विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति का प्रावधान है, जिनमें एक जनरल सर्जन, एक फिजिशियन, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक शिशु रोग विशेषज्ञ और एक एनेस्थेटिस्ट (मूर्छक चिकित्सक) शामिल हैं। दुर्भाग्यवश इनमें से कोई भी विशेषज्ञ वर्तमान में कार्यरत नहीं हैं। सामान्य चिकित्सकों के चार स्वीकृत पदों में से केवल एक चिकित्सक सेवाएं दे रहे हैं, जिससे रोगियों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है।
वर्तमान में केवल प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, एक दंत चिकित्सक और एक आयुष चिकित्सक ही कार्यरत हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि गोपालपुर जैसे बड़े प्रखंड में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का भारी अभाव है, जो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करता है।
पैरामेडिकल स्टाफ की हालत भी चिंताजनक
फार्मासिस्ट के तीन स्वीकृत पदों में से एक भी फार्मासिस्ट कार्यरत नहीं है। ऐसी स्थिति में दवाओं का वितरण एएनएम (सहायक नर्सिंग मिडवाइफ) द्वारा किया जा रहा है, जो ना सिर्फ अनियमित है बल्कि स्वास्थ्य मानकों के खिलाफ भी है। ड्रेसर के छह पदों में से कोई भी पद भरा हुआ नहीं है, जिसके कारण ड्रेसिंग जैसे तकनीकी कार्य चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों से करवाए जा रहे हैं। यह रोगियों की सेहत के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है।
प्रसव कक्ष की स्थिति भी भयावह है। यहां महीने में औसतन 150 प्रसव होते हैं, जबकि 16 जीएनएम (जनरल नर्स मिडवाइफरी) की आवश्यकता है। वर्तमान में केवल चार जीएनएम कार्यरत हैं, जिनमें से एक अध्ययन अवकाश पर हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए पीएचसी से एएनएम की ड्यूटी लगाई जाती है, जो स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सीधा असर डालता है।
तकनीकी व प्रशासनिक कर्मियों का अभाव
वर्तमान में सीएचसी गोपालपुर में पांच वार्ड ब्वाय की जगह मात्र एक पुरुष कक्ष सेवक कार्यरत है। लेखा, निबंधन व सांख्यिकी विभाग के चार पदों में से केवल एक लिपिक कार्यरत हैं, जिससे सभी विभागीय कार्य एक ही व्यक्ति द्वारा किए जा रहे हैं। चतुर्थवर्गीय छह कर्मियों के स्थान पर केवल दो कर्मचारी कार्यरत हैं।
ओटी (ऑपरेशन थियेटर) टेक्निशियन के छह पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक भी टेक्निशियन कार्यरत नहीं है। इसके बावजूद यहां बंध्याकरण जैसे ऑपरेशन किए जाते हैं, जो सुरक्षा और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। लैब टेक्निशियन के चार में से केवल एक कार्यरत है और एक्सरे टेक्निशियन के तीन पदों में से एक पदस्थापित है, लेकिन वह भी रंगरा पीएचसी में प्रतिनियुक्त है। इससे स्थानीय लोगों को कई बार जांच और रिपोर्ट के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।
आधारभूत संरचना का भी अभाव
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोपालपुर की आधारभूत संरचना भी बेहद खराब है। यहां न तो ओपीडी का पृथक भवन है, न ही कार्यालय भवन, दवा भंडारण कक्ष, सभागार या समीक्षा भवन। यह स्वास्थ्य केंद्र एक ऐसे पुराने भवन में संचालित हो रहा है, जो जरूरतों के अनुसार न तो पर्याप्त है और न ही सुरक्षित।
चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आवास की भी कोई सुविधा नहीं है। इसके अलावा, चहारदीवारी न होने के कारण डॉक्टरों व कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना बनी रहती है, जिससे वे रात्रि में ड्यूटी करने से कतराते हैं।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की प्रतिक्रिया
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधांशु कुमार ने बताया कि इस स्थिति की जानकारी समय-समय पर वरीय अधिकारियों को दी जाती है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों और अन्य स्टाफ की कमी के बावजूद 24 घंटे रोगियों के इलाज की व्यवस्था बनाकर रखने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि सीमित संसाधनों में यह कार्य चुनौतीपूर्ण है और कई बार इलाज में देरी या असुविधा का सामना करना पड़ता है।
निष्कर्ष
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोपालपुर की स्थिति राज्य के ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे की बदहाली को दर्शाता है। चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी, तकनीकी व प्रशासनिक कर्मियों का अभाव, और बुनियादी ढांचे की बदतर स्थिति यह बताती है कि सरकार की स्वास्थ्य योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं हो पा रही हैं।
अगर स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार इस दिशा में शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं, तो न केवल गोपालपुर प्रखंड की जनता को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रहना पड़ेगा, बल्कि यह स्थिति कई गंभीर स्वास्थ्य संकटों को भी जन्म दे सकती है। बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए यहां शीघ्र चिकित्सकों की नियुक्ति, आधारभूत सुविधाओं का विकास, और सुरक्षा व आवास की समुचित व्यवस्था अनिवार्य है।
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