बाढ़ की विभीषिका से निपटने और प्रभावित लोगों को त्वरित चिकित्सा सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से गोपालपुर प्रखंड प्रशासन ने कमर कस ली है। प्रखंड क्षेत्र के नौ स्थानों पर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र बनाए गए हैं, जहां आवश्यक दवाओं के साथ एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधांशु कुमार ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि बाढ़ की स्थिति में जलजमाव, संक्रामक रोगों और सर्पदंश जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से लोगों को राहत दिलाने के लिए यह विशेष व्यवस्था की गई है।
डॉ. सुधांशु कुमार ने बताया कि यह व्यवस्था बाढ़ पूर्व तैयारी का एक हिस्सा है ताकि आपदा की घड़ी में कोई भी पीड़ित स्वास्थ्य सेवा से वंचित न रहे। नौ स्थलों को चयनित किया गया है, जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के निकट हैं और जहां आमजन को आसानी से पहुंच मिल सके। इन स्थलों पर दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति की गई है, जिनमें ORS, डिहाइड्रेशन की दवाएं, त्वचा संक्रमण, वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम और डायरिया की औषधियां प्रमुख रूप से शामिल हैं।
चयनित स्थलों पर तैनात रहेंगे स्वास्थ्यकर्मी
डॉ. सुधांशु कुमार ने बताया कि गोसाईंगांव पंचायत अंतर्गत लालजी मध्य विद्यालय, सिंघिया मकंदपुर में एक अस्थायी चिकित्सा केंद्र स्थापित किया गया है। इसी प्रकार तिनटंगा करारी पंचायत के बुनियादी उच्च विद्यालय में स्वास्थ्य दल मौजूद रहेगा। गोपालपुर पंचायत के जगदंबा कन्या मध्य विद्यालय, गोपालपुर को भी इस कार्य के लिए चुना गया है। इसके अतिरिक्त रिंगबांध बोचाही, सुकटिया बाजार पंचायत के मध्य विद्यालय सुकटिया बाजार और तिरासी के मध्य विद्यालय में भी स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति की गई है।
डुमरिया चपरघट पंचायत के मध्य विद्यालय डुमरिया और उच्च माध्यमिक विद्यालय कालूचक को भी स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्र के रूप में चिन्हित किया गया है। इन सभी स्थलों पर हर दिन नियमित रूप से स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहेंगे। एएनएम महिलाओं और बच्चों की विशेष देखभाल करेंगी, वहीं अन्य कर्मी सामान्य बीमारियों और इमरजेंसी मामलों में मदद करेंगे।
बाढ़ के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की महत्ता
बाढ़ के समय जब चारों ओर पानी भरा होता है, तो लोगों को न केवल सुरक्षित आश्रय की जरूरत होती है, बल्कि बीमारियों से सुरक्षा भी जरूरी होती है। जल जनित बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए चिकित्सा सुविधा अत्यंत आवश्यक होती है। ऐसे में सरकार और स्वास्थ्य विभाग की यह पहल बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत का बड़ा जरिया बन सकती है।
डॉ. कुमार ने कहा कि प्रत्येक केंद्र पर रजिस्टर रखा जाएगा, जिसमें आने वाले मरीजों की जानकारी दर्ज की जाएगी ताकि अगर किसी की हालत गंभीर हो तो उसे उच्च चिकित्सा केंद्र रेफर किया जा सके। साथ ही, सभी स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वे लगातार बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा करते रहें और मोबाइल यूनिट के रूप में भी सेवा दें।
जन सहयोग की अपील
स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता से भी अपील की है कि वे घबराएं नहीं और स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचकर समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। ग्रामीण क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से सहयोग की उम्मीद जताई गई है ताकि लोगों को राहत मिल सके और बाढ़ के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो।
इस प्रकार, गोपालपुर प्रखंड प्रशासन ने बाढ़ से निपटने की जो स्वास्थ्य व्यवस्था की है, वह समय से पहले तैयारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यदि यह योजना जमीनी स्तर पर ठीक से क्रियान्वित होती है, तो निश्चित ही यह बाढ़ पीड़ितों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती है।
अपना बिहार झारखंड पर और भी खबरें देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें