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सोनवर्षा स्थित प्रसिद्ध बड़ी भगवती स्थान में नागपंचमी के अवसर पर होने वाले वार्षिक पूजन व मेले को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। यह शक्ति पीठ पूरे क्षेत्र में आस्था और चमत्कारों के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। जनमान्यता है कि यहां की चौखट पर सर्पदंश से पीड़ित लोगों को जीवनदान मिला है। देवी मंदिर में स्थित नीर (पानी) को चमत्कारी माना जाता है, जिसकी मान्यता बांका, खगड़िया, बेगूसराय, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार सहित दूर-दराज के जिलों में फैली हुई है।

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हर पांच वर्ष की तरह इस बार भी हजारों श्रद्धालुओं के आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। नागपंचमी के दिन हजारों भक्त मंदिर पहुंचकर माता के दर्शन व पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दौरान पूरी सोनवर्षा नगरी भक्तिमय माहौल में डूब जाती है और मंदिर परिसर घंटी, शंख और मंत्रोच्चार से गूंज उठता है।

इस मेले को सफल बनाने के लिए शुक्रवार को मंदिर परिसर में ग्रामीणों व मंदिर कमेटी की 25 सदस्यों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में मेले और पूजा के सुचारू संचालन, सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने पर व्यापक चर्चा हुई। कमेटी ने कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित कर तैयारी और समन्वय की रूपरेखा तय की। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, उप सचिव, कोषाध्यक्ष, सह सचिव समेत सदस्य व अन्य सक्रिय कार्यकर्ता तैयारियों में दिन-रात जुटे हुए हैं।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मेले के दौरान मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में साफ-सफाई, पीने के पानी की व्यवस्था, पार्किंग, स्वास्थ्य सुविधा और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। स्थानीय पुलिस प्रशासन भी अपनी भूमिका निभाते हुए सुरक्षा प्रबंधन, ट्रैफिक नियंत्रण और शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करेगा।

पूरे आयोजन में वर्तमान और पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहती है, जो आयोजन के समन्वय में योगदान देते हैं। मेले के दौरान स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जाएंगे, ताकि किसी आपात स्थिति में त्वरित इलाज की सुविधा श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराई जा सके।

बड़ी भगवती स्थान केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि नागपंचमी के अवसर पर यहां आयोजित पूजा और मेला सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक भी बन गया है। इस आयोजन में सभी जाति और वर्ग के लोग बिना भेदभाव के बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, जिससे सामाजिक समरसता का संदेश भी समाज में जाता है।

यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि नागपंचमी पर इस शक्ति पीठ पर मां भगवती की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और रोगों से मुक्ति मिलती है। मंदिर कमेटी की सक्रियता और स्थानीय लोगों की सहभागिता से इस वर्ष का नागपंचमी मेला भी भव्य और ऐतिहासिक होने की उम्मीद है।

सोनवर्षा का यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करता है, बल्कि जनभागीदारी, सहयोग और सामाजिक जागरूकता को भी बढ़ाता है। यही कारण है कि बड़ी भगवती स्थान की नागपंचमी पर होने वाली गतिविधियां क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देती हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलता है।

ऐसे आयोजनों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में मदद मिलती है, साथ ही आने वाली पीढ़ियों में अपनी संस्कृति और परंपरा के प्रति जागरूकता और सम्मान भी उत्पन्न होता है। नागपंचमी का यह मेला एकता, आस्था और सामाजिक सहयोग का एक सजीव उदाहरण है, जो सोनवर्षा को पूरे क्षेत्र में अलग पहचान देता है।

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