शिक्षा विभाग ने राज्यभर के स्कूलों में बच्चों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। शिक्षा मुख्यालय को लगातार यह शिकायत मिल रही थी कि बड़ी संख्या में विद्यार्थी चेतना सत्र में शामिल नहीं हो रहे हैं और विद्यालय देर से पहुंचते हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों, अन्य अधिकारियों तथा विद्यालय प्रधानाचार्यों को निर्देश जारी किया है।

चेतना सत्र में उपस्थिति अनिवार्य

निर्देशों के अनुसार, अब भागलपुर सहित पूरे बिहार के विद्यालयों में विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों की उपस्थिति चेतना सत्र में अनिवार्य होगी। चेतना सत्र विद्यालय का पहला और महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, जिसमें बच्चों के अनुशासन, स्वच्छता और समय पालन की आदतों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

समय से विद्यालय पहुंचना जरूरी

अपर मुख्य सचिव ने साफ कहा है कि चेतना सत्र शुरू होने से पूर्व विद्यालय का मुख्य द्वार बंद कर दिया जाएगा। देर से आने वाले विद्यार्थियों को पहले दिन केवल चेतावनी दी जाएगी। लेकिन यदि वे दूसरे दिन भी समय पर नहीं पहुंचे, तो उन्हें उस दिन विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलेगा।

इसके लिए कक्षा शिक्षकों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे इस संबंध में विद्यार्थियों की डायरी में टिप्पणी दर्ज करें और इसकी सूचना अभिभावकों तक पहुंचाएं। इस तरह बच्चों और उनके अभिभावकों दोनों को समय की पाबंदी के प्रति जागरूक किया जाएगा।

शिक्षकों की भी होगी जवाबदेही

शिक्षकों के लिए भी स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। सभी शिक्षकों को चेतना सत्र शुरू होने से पहले विद्यालय परिसर में मौजूद रहना होगा। यदि शिक्षक समय से विद्यालय नहीं पहुंचते हैं, तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग का मानना है कि बच्चों पर अनुशासन का सकारात्मक असर तभी पड़ेगा, जब शिक्षक स्वयं अनुशासन का पालन करेंगे।

चेतना सत्र को प्रभावी बनाने पर जोर

शिक्षा विभाग ने चेतना सत्र को केवल औपचारिकता न मानते हुए इसे पूरी तरह प्रभावी बनाने पर जोर दिया है। सभी शिक्षकों को निर्देश है कि वे इस दौरान विद्यार्थियों की नाखूनों की सफाई, सुसज्जित बाल, साफ-सुथरे पोशाक, स्नान करने की आदत आदि पर ध्यान दें। इसके अलावा, प्रधानाध्यापक और अन्य शिक्षक प्रतिदिन बच्चों को मौखिक रूप से स्वच्छता और अनुशासन के महत्व के बारे में जानकारी देंगे।

अभिभावकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण

बच्चों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने में अभिभावकों की भूमिका भी अहम होगी। शिक्षा विभाग चाहता है कि अभिभावक स्वयं बच्चों को समय से विद्यालय भेजने की जिम्मेदारी निभाएं। इसके लिए अभिभावकों को लगातार जागरूक किया जाएगा ताकि वे बच्चों को नियमित और समय पर विद्यालय भेजें।

डीईओ ने दिए स्पष्ट संकेत

भागलपुर के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) राज कुमार शर्मा ने कहा कि शिक्षा मुख्यालय से मिले निर्देशों का पालन हर हाल में किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि विद्यालयों में समयपालन और अनुशासन को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

निष्कर्ष

शिक्षा विभाग की इस नई पहल से विद्यालयों में अनुशासन, स्वच्छता और समयपालन की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों और अभिभावकों की संयुक्त जिम्मेदारी होगी कि वे इस नियम को सफल बनाएं। यदि यह व्यवस्था सही ढंग से लागू होती है, तो बच्चों में न केवल समय की पाबंदी की आदत विकसित होगी, बल्कि वे जीवनभर अनुशासन और जिम्मेदारी का महत्व भी समझेंगे।

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