बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा के साथ ही राज्य की सियासत पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है। दो चरणों में मतदान होंगे — पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी। इन तारीखों के ऐलान के बाद अब सबसे बड़ी चर्चा का विषय बन गया है — एनडीए और इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे का फार्मूला।

एनडीए की तरफ से लगातार बयान दिए जा रहे हैं कि सीट शेयरिंग का फैसला 2 से 3 दिनों के भीतर हो जाएगा। लेकिन अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है।

🔹 JDU और BJP के बीच बराबरी का फार्मूला या बड़ा भाई विवाद

सूत्रों के अनुसार, जनता दल (यूनाइटेड) यानी JDU ने लगभग 110 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी किसी भी सूरत में बराबरी का समझौता चाहती है।
इस स्थिति में यदि दोनों दल 110-110 सीटों पर चुनाव लड़ते हैं, तो केवल 23 सीटें सहयोगी दलों के लिए बचेंगी — जो कि HAM, RLJP और RLM जैसी तीन पार्टियों के बीच बंटवारा करना बेहद कठिन होगा।

इसी को देखते हुए एक दूसरा फॉर्मूला सामने आया है, जिसके अनुसार —

JDU: 101 सीटें
BJP: 100 सीटें
LJP (Ram Vilas): 26 सीटें
HAM (हम पार्टी): 8 सीटें
RLM (उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी): 8 सीटें

लेकिन इस पर भी अभी अंतिम सहमति नहीं बन पाई है।

🔹 LJP(R) की बढ़ी मांग – चिराग पासवान की शर्तें

चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) किसी भी सूरत में 28 या 29 सीटों से कम पर समझौता करने के मूड में नहीं है।
हालांकि सूत्र बताते हैं कि भाजपा की ओर से उन्हें 22 सीटों के साथ एक राज्यसभा और एक विधान परिषद सीट का ऑफर दिया गया है। अब देखना यह है कि चिराग पासवान इस समझौते को मानते हैं या नहीं।

🔹 HAM पार्टी की जद्दोजहद – सम्मानजनक सीटों पर अड़ी मांग

हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मंत्री डॉ. संतोष सुमन ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि,

> “हमने अपनी अपेक्षा एनडीए नेतृत्व को बता दी है। हमारे पास वर्तमान में चार विधायक हैं और पिछली बार हम सात सीटों पर लड़े थे। हम किसी भी सूरत में सीटिंग सीट नहीं छोड़ेंगे।”

संतोष सुमन ने आगे कहा,

> “हमारी पार्टी को राज्य स्तर का दर्जा पाने के लिए कम से कम आठ विधायकों की जरूरत है। इसलिए हम आठ से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।”

हम पार्टी का मानना है कि जिन दलों के पास वर्तमान में विधायक नहीं हैं, उनसे बेहतर स्थिति उनकी है और उन्हें सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए।

🔹 धर्मेंद्र प्रधान बने एनडीए सीट शेयरिंग के ‘ट्रबलशूटर’

एनडीए में सीट बंटवारे की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री और भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान को सौंपी गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर धर्मेंद्र प्रधान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है। इस बैठक में भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद थे।
बैठक में सभी दलों की मांगों पर चर्चा हुई और धर्मेंद्र प्रधान ने उनकी अपेक्षाओं का फीडबैक लेकर केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट देने का आश्वासन दिया।

धर्मेंद्र प्रधान ने बाद में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से भी मुलाकात की। मांझी ने 15 सीटों की मांग रखी है। उनका कहना है कि,

> “हम कम से कम सात-आठ सीट जीत सकते हैं, इसके लिए हमें न्यूनतम 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की जरूरत है।”

🔹 उपेंद्र कुशवाहा की भूमिका

राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के पास भले ही वर्तमान में कोई विधायक नहीं है, लेकिन वह भी सम्मानजनक संख्या में सीटें चाहते हैं। भाजपा फिलहाल उन्हें 4 से 5 सीटों की पेशकश पर विचार कर रही है।

🔹 निष्कर्ष

कुल मिलाकर, एनडीए के भीतर सीट बंटवारे का मामला बेहद पेचीदा मोड़ पर है।
जहां एक ओर जेडीयू और बीजेपी बराबरी के फॉर्मूले पर अड़े हुए हैं, वहीं चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसी छोटी पार्टियां सम्मानजनक हिस्सेदारी की मांग पर कायम हैं।
अब सबकी निगाहें धर्मेंद्र प्रधान की अगली बैठक पर टिकी हैं, जिसमें सीट शेयरिंग का अंतिम फार्मूला तय किया जा सकता है।

अगर अगले दो दिनों में सहमति बन जाती है तो एनडीए एकजुट होकर मैदान में उतरने को तैयार दिखेगा, वरना सीट बंटवारे का पेंच बिहार चुनाव 2025 की पहली बड़ी सियासी सुर्खी बन सकता है।

 

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