सहरसा जिले से एक अत्यंत दर्दनाक और विचलित कर देने वाली घटना सामने आई है। सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत भेलवा वार्ड संख्या 3 में एक 35 वर्षीय महिला की सर्पदंश से मौत हो गई। मृतका की पहचान राम लोचन यादव की पत्नी के रूप में हुई है। घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है।
परिवारवालों के अनुसार, महिला सुबह-सुबह रोज की तरह घर के आंगन में झाड़ू लगा रही थी। इसी दौरान अचानक वह जमीन पर गिर गई और बेहोश हो गई। पहले तो परिजन को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जब पास जाकर देखा गया तो उनके शरीर पर सर्पदंश का निशान दिखाई दिया।
भतीजे नितिश कुमार ने बताया कि जैसे ही महिला के बेहोश होने की सूचना घरवालों को मिली, वे आनन-फानन में उसे लेकर सहरसा सदर अस्पताल पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार महिला को पहले ही गंभीर रूप से विषैले सांप ने काट लिया था और सही समय पर उपचार नहीं मिलने से उसकी जान चली गई।
महिला की मौत से परिवार में कोहराम मच गया है। मृतका के दो बेटे और दो बेटियां हैं। उनका पालन-पोषण अब और भी कठिन हो जाएगा, क्योंकि महिला का पति राम लोचन यादव रोजी-रोटी की तलाश में बाहर मजदूरी करता है और अधिकांश समय घर से दूर ही रहता है।
परिजनों की हालत इस कदर बदहवासी में थी कि उन्होंने सांप को भी नहीं छोड़ा। जिस सांप ने महिला को काटा था, उसे परिजन पकड़कर गड्ढा खोदकर बाहर निकाले और अस्पताल तक अपने साथ लेकर पहुंचे। अस्पताल परिसर में यह दृश्य देखकर लोग हैरान रह गए। लोग यह सोचते रह गए कि आखिर परिजन सांप को लेकर अस्पताल क्यों आए हैं।
दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में यह धारणा प्रचलित है कि अगर किसी व्यक्ति को सांप ने काटा हो, और उसे मारकर साथ ले जाया जाए, तो इससे उपचार में मदद मिलती है या जांच में उपयोग हो सकता है। हालांकि चिकित्सा विज्ञान इसे पूरी तरह से खारिज करता है और सर्पदंश की स्थिति में प्राथमिक उपचार एवं समय पर अस्पताल पहुंचना ही एकमात्र उपाय माना जाता है।
घटना की सूचना सहरसा सदर थाना को भी दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, ताकि सटीक कारणों की पुष्टि हो सके।
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश को लेकर जागरूकता की कमी और समय पर प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सर्पदंश से बचाव और सावधानियां:
ग्रामीण इलाकों में बरसात के मौसम में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
झाड़ियों की सफाई, रात्रि में जमीन पर सोने से परहेज, और घर के कोनों को साफ रखना आवश्यक है।
किसी को सर्प काट ले तो तुरंत किसी प्रशिक्षित स्वास्थ्य केंद्र में ले जाना चाहिए, न कि झाड़-फूंक या घरेलू उपायों पर समय गंवाना चाहिए।
साथ ही, एंटी-स्नेक वेनम (Antivenom) ही एकमात्र प्रभावी इलाज होता है।
प्रशासन से अपेक्षा:
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और परिजनों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि गांवों में सर्पदंश की स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर व्यवस्था की जाए। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग को गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, ताकि इस प्रकार की घटनाओं से भविष्य में लोगों की जान बचाई जा सके।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया:
घटना के बाद भेलवा वार्ड नं 3 में मातम का माहौल है। पड़ोसी और स्थानीय ग्रामीण भी इस हादसे से स्तब्ध हैं। उन्होंने बताया कि महिला मिलनसार और मेहनती थी। उसकी अचानक मृत्यु से न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरा मोहल्ला दुखी है।
अंत में:
सहरसा की यह घटना महज एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह उन सामाजिक और प्रशासनिक चुनौतियों की भी याद दिलाती है जिनका सामना आज भी ग्रामीण भारत को करना पड़ता है। जहां एक तरफ तकनीकी और चिकित्सा विज्ञान काफी आगे बढ़ चुका है, वहीं दूसरी ओर आज भी लोग सांप के काटने पर झाड़-फूंक या सांप को अस्पताल ले जाने जैसे अंधविश्वासों में फंसे रहते हैं।
यदि समय पर महिला को प्राथमिक उपचार और सटीक चिकित्सा मिलती, तो शायद उसकी जान बच सकती थी। यह घटना एक चेतावनी है — हमें अब भी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को गंभीरता से लेना होगा और लोगों को वैज्ञानिक सोच की ओर अग्रसर करना होगा।
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