पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 24 अप्रैल को मधुबनी जिले के झंझारपुर में आयोजित जनसभा के दौरान सुरक्षा और प्रबंधन को लेकर प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे। इस कार्यक्रम में राज्य सरकार की ओर से विभिन्न जिलों से अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। लेकिन समस्तीपुर जिले के वरीय उपसमाहर्ता (Senior Deputy Collector) अभिराम कुमार बिना किसी पूर्व सूचना के ड्यूटी से अनुपस्थित रहे। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए बिहार सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है।
बिना सूचना ड्यूटी से रहे गायब
प्रधानमंत्री की जनसभा जैसी अत्यधिक संवेदनशील और वीआईपी कार्यक्रमों में अधिकारियों की तैनाती एक रूटीन प्रक्रिया होती है, ताकि विधि-व्यवस्था और आयोजन से जुड़ी व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित रूप से संचालित हो सकें। इसी क्रम में 22 से 24 अप्रैल तक मधुबनी के डीएम कार्यालय में बिहार प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई थी। इनमें समस्तीपुर के वरीय उप समाहर्ता अभिराम कुमार का नाम भी शामिल था। लेकिन वे अपनी ड्यूटी पर उपस्थित नहीं हुए और बिना अनुमति के गैरहाजिर रहे।
डीएम की रिपोर्ट पर हुई कार्रवाई
ड्यूटी से अनुपस्थित रहने की सूचना समस्तीपुर के जिलाधिकारी ने सरकार को दी। जांच के बाद जिलाधिकारी ने 3 मई को सामान्य प्रशासन विभाग को रिपोर्ट भेजी। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि अभिराम कुमार बिना किसी सूचना के निर्धारित तिथियों में ड्यूटी पर नहीं पहुंचे। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने 13 मई को उनसे स्पष्टीकरण मांगा। लेकिन उनके द्वारा दिया गया जवाब असंतोषजनक पाया गया।
निलंबन आदेश जारी
स्पष्टीकरण के बाद भी जब संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो राज्य सरकार ने तत्कालीन प्रभाव से अभिराम कुमार को निलंबित कर दिया। सामान्य प्रशासन विभाग ने इससे संबंधित निलंबन आदेश भी जारी कर दिया है। निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय दरभंगा प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय तय किया गया है।
किन नियमों के तहत की गई कार्रवाई?
सरकार की ओर से की गई यह कार्रवाई बिहार सरकारी सेवक आचार संहिता 1976 के नियम 3(1) के उल्लंघन के तहत की गई है। इसके अलावा, बिहार सरकारी सेवक वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील नियमावली 2005 के नियम 9(1)(क) के तहत उन्हें निलंबित किया गया है। हालांकि निलंबन की अवधि में उन्हें नियम 10(1) के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) मिलता रहेगा।
सरकार का सख्त संदेश
राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार की सख्त कार्रवाई से यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या किसी अन्य वीआईपी के कार्यक्रमों को लेकर अधिकारियों को अत्यधिक गंभीर और जिम्मेदार रहना होगा। बिना अनुमति ड्यूटी से गैरहाजिर रहना अब केवल अनुशासनहीनता नहीं बल्कि सेवा शर्तों का सीधा उल्लंघन माना जाएगा।
प्रशासनिक हलकों में चर्चा
इस मामले ने बिहार के प्रशासनिक हलकों में काफी चर्चा पैदा कर दी है। वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार की कार्रवाई से अन्य अधिकारियों को भी यह सीख मिलेगी कि वे किसी भी जिम्मेदारी को हल्के में न लें, खासकर जब मामला प्रधानमंत्री या अन्य वीआईपी से जुड़ा हो।
निष्कर्ष
अभिराम कुमार पर की गई कार्रवाई प्रशासनिक अनुशासन और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह न सिर्फ सरकारी तंत्र में जवाबदेही को बढ़ावा देता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि राज्य की छवि और केंद्रीय नेतृत्व के कार्यक्रमों की गरिमा बनी रहे। इस प्रकार की कार्रवाई आगे भी लापरवाह अधिकारियों के लिए चेतावनी स्वरूप मानी जाएगी।
अपना बिहार झारखंड पर और भी खबरें देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें