विश्व बालिका दिवस के अवसर पर बिहार के भागलपुर से एक सराहनीय पहल की शुरुआत हुई है। शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार सिंह ने “बेटी हमारी अभियान – जागो हिंदुस्तान” के तहत एक नई योजना ‘बालिका नुनु योजना’ की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य समाज में बेटियों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और सम्मान को नई दिशा देना है।
इस अनूठी पहल के तहत जन्म से लेकर एक वर्ष तक की सभी बच्चियों को मुफ्त ओपीडी सेवा प्रदान की जाएगी। यानी, माता-पिता को अपनी बच्चियों के सामान्य इलाज या परामर्श के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। यह सेवा डॉ. अजय कुमार सिंह द्वारा उनके क्लिनिक में उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि हर परिवार अपनी बच्चियों के स्वास्थ्य को लेकर निश्चिंत रह सके।
योजना की शुरुआत करते हुए डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि “हर बेटी हमारे समाज की शक्ति है। उनका स्वस्थ रहना ही राष्ट्र की प्रगति का आधार है। आज भी कई ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार बेटियों के इलाज को लेकर लापरवाही करते हैं। ऐसे में यह पहल उन्हें प्रोत्साहित करेगी कि वे अपनी बच्चियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराएं।”
उन्होंने यह भी बताया कि “बालिका नुनु योजना” सिर्फ मुफ्त इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मकसद बालिका स्वास्थ्य के प्रति सामाजिक सोच में बदलाव लाना भी है। इस योजना के जरिये जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि लोग यह समझ सकें कि बेटी भी परिवार की समान जिम्मेदारी और गर्व का प्रतीक है।
कार्यक्रम के दौरान कई अभिभावक अपनी बच्चियों के साथ क्लिनिक पहुंचे और इस पहल की सराहना की। परिजनों का कहना था कि आज के समय में जब इलाज का खर्च लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में यह योजना गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए बहुत राहत देने वाली है।
भागलपुर के स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी डॉ. सिंह की इस पहल की प्रशंसा की है। समाजसेवी संगठनों ने कहा कि “बालिका नुनु योजना” बाल स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक नई मिसाल है, जो अन्य चिकित्सकों को भी प्रेरित करेगी कि वे समाज के कमजोर वर्ग के लिए कुछ योगदान दें।
इस अवसर पर डॉ. सिंह ने बताया कि आने वाले समय में इस अभियान को और व्यापक बनाया जाएगा। उनका उद्देश्य है कि भविष्य में इस योजना के तहत टीकाकरण, पोषण और मातृ स्वास्थ्य जागरूकता जैसे विषयों को भी शामिल किया जाए, ताकि बेटियों की देखभाल हर स्तर पर हो सके।
कार्यक्रम का समापन बालिकाओं को पौष्टिक आहार किट और स्वास्थ्य पुस्तिका वितरित कर किया गया। लोगों ने “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के संदेश को दोहराते हुए यह संकल्प लिया कि वे अपने समाज में बेटियों के सम्मान और शिक्षा के लिए आगे बढ़ेंगे।
इस प्रकार, भागलपुर से शुरू हुई यह पहल न केवल स्वास्थ्य सेवा की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है, बल्कि “बेटी है तो कल है” के संदेश को सशक्त रूप से समाज तक पहुंचाने का प्रयास भी है।
