भागलपुर, बिहार – आज विश्व कराटे दिवस के उपलक्ष्य में भागलपुर जिले के नयाबाजार स्थित टीएनबी कॉलेज जीयट स्कूल कैंपस में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन भागलपुर मार्शल आर्ट्स इकाई द्वारा किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक तरीके से की गई, जिसके बाद कराटे का सामूहिक अभ्यास और रोमांचकारी करतबों का शानदार प्रदर्शन किया गया।
मार्शल आर्ट्स विशेषज्ञ अभिजित कुमार की देखरेख में खिलाड़ियों ने अपने कौशल का ऐसा प्रदर्शन किया कि दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा परिसर गुंजायमान कर दिया। विशेष रूप से लड़कियों द्वारा प्रस्तुत आत्मरक्षा तकनीकों का प्रदर्शन कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा। इस अवसर पर अभिजित कुमार ने छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए और बताया कि किसी भी परिस्थिति में कैसे साहस और सूझबूझ के साथ खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है।
अभिजित कुमार ने अपने संबोधन में कराटे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कराटे वास्तव में भारतीय पारंपरिक मार्शल आर्ट “नियुद्ध” का आधुनिक रूप है। यह कला त्रेता युग से प्रचलन में है और इसका उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी मिलता है। उन्होंने कहा कि यह जानकर गर्व होता है कि आज दुनिया भर में जिसे कराटे के नाम से जाना जाता है, उसकी जड़ें भारत की सांस्कृतिक विरासत में निहित हैं।
कराटे को केवल एक खेल या युद्धकला नहीं, बल्कि अनुशासन, आत्मनियंत्रण और आत्मबल विकसित करने वाली विद्या बताया गया। उन्होंने कहा कि आज के समय में, खासकर छात्राओं के लिए आत्मरक्षा का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। कराटे का नियमित अभ्यास न केवल शरीर को मजबूत बनाता है, बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को मजबूत करता है। यह समाज में आत्मविश्वास, शांति और जागरूकता फैलाने का एक प्रभावी माध्यम बन सकता है।
कार्यक्रम के अंत में अभिजित कुमार ने सभी प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों को विश्व कराटे दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इस प्राचीन और प्रभावशाली कला को अपनाएं और अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाएं। उन्होंने कहा कि मार्शल आर्ट्स के माध्यम से युवा अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं और देश-समाज को सशक्त बना सकते हैं।
यह आयोजन न केवल कराटे के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि छात्राओं में आत्मविश्वास जगाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी एक सशक्त पहल सिद्ध हुआ।
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