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बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। इस बार चर्चा का केंद्र बना है सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र, जहां की आठों विधानसभा सीटों पर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है। वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने स्पष्ट कर दिया है कि रीगा, बथनाहा, परिहार, सुरसंड, बाजपट्टी, सीतामढ़ी, रून्नीसैदपुर और बेलसंड—इन सभी सीटों से उनकी पार्टी चुनाव लड़ने की इच्छुक है।

मुकेश सहनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे INDIA गठबंधन के साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव में भाग लेंगे, लेकिन सीटों को लेकर वीआईपी की मांग पूरी तरह स्पष्ट और ठोस है। उनका कहना है कि सीतामढ़ी की ये आठों सीटें रणनीतिक रूप से बेहद अहम हैं और इन पर वीआईपी का जनाधार लगातार मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि इन सीटों को पार्टी ने प्राथमिकता के आधार पर चिन्हित किया है, और वे गठबंधन की आगामी बैठक में अपनी बात मजबूती से रखेंगे।

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गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर हलचल

मुकेश सहनी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब महागठबंधन (INDIA गठबंधन) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर विचार-मंथन जारी है। वीआईपी की इस मांग से राजद समेत गठबंधन के अन्य दलों की चिंताएं बढ़ गई हैं। खासकर राजद नेता तेजस्वी यादव के लिए यह एक नई चुनौती मानी जा रही है, क्योंकि सीतामढ़ी की अधिकांश सीटों पर अब तक राजद का प्रभाव रहा है।

सहनी ने कहा, “हमारा संगठन जमीनी स्तर पर सक्रिय है और लोगों के बीच हमारी स्वीकार्यता बढ़ी है। ऐसे में हमारी पार्टी चाहती है कि गठबंधन में उसे उचित सम्मान और हिस्सेदारी मिले। हमने साफ कर दिया है कि हम चुनाव में अपने दम पर उतरने को भी तैयार हैं, लेकिन गठबंधन में रहकर मजबूती से लड़ना हमारी प्राथमिकता है।”

वीआईपी की राजनीतिक रणनीति

पिछले कुछ वर्षों में मुकेश सहनी ने खुद को पिछड़े वर्गों, खासकर निषाद समाज के एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित किया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने एनडीए के साथ मिलकर कुछ सीटों पर सफलता भी हासिल की थी। हालांकि बाद में उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ दिया और अब महागठबंधन का हिस्सा हैं। अब एक बार फिर वे अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर आक्रामक रणनीति अपना रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि वीआईपी का संगठन सीतामढ़ी में काफी मजबूत है और पार्टी कार्यकर्ता हर गांव, हर पंचायत में सक्रिय हैं। इसलिए पार्टी यहां से चुनाव लड़ने को लेकर पूरी तरह से तैयार है।

तेजस्वी यादव की बढ़ी चिंता

मुकेश सहनी के इस बयान से राजद खेमे में खलबली मच गई है। तेजस्वी यादव को डर है कि अगर वीआईपी को इन सभी आठ सीटों पर लड़ने दिया गया, तो राजद के परंपरागत वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। साथ ही अगर सहनी नाराज होते हैं तो गठबंधन को नुकसान भी हो सकता है।

गठबंधन के भीतर पहले ही सीट बंटवारे को लेकर कई दलों में खींचतान चल रही है। कांग्रेस, वामपंथी दल और राजद सभी अपनी-अपनी ताकत के हिसाब से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। ऐसे में वीआईपी की आठ सीटों की सीधी मांग गठबंधन को असहज कर सकती है।

गठबंधन की बैठक में होगी चर्चा

मुकेश सहनी ने साफ कहा है कि वे इस मुद्दे को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जोरदार ढंग से उठाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि गठबंधन सहयोग करता है तो वे मजबूत उम्मीदवारों के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे। वहीं अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो पार्टी स्वतंत्र रूप से भी चुनाव लड़ने के विकल्प पर विचार कर सकती है।

उन्होंने यह भी कहा कि वीआईपी का मकसद सिर्फ सत्ता में भागीदारी नहीं, बल्कि समाज के उन वर्गों की आवाज बनना है जिन्हें लंबे समय से राजनीति में नजरअंदाज किया गया है। “हम अपने समाज की उम्मीदों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते,” सहनी ने कहा।

निष्कर्ष

सीतामढ़ी की आठ विधानसभा सीटों पर वीआईपी का दावा बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। जहां एक तरफ महागठबंधन को मजबूत करने की कवायद चल रही है, वहीं दूसरी ओर सहयोगी दलों की आपसी खींचतान गठबंधन की एकता को चुनौती दे रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि INDIA गठबंधन इस मांग को कैसे संभालता है और क्या वीआईपी को उनकी पसंद की सीटें मिलती हैं या फिर गठबंधन के भीतर टकराव और बढ़ता है।

सीतामढ़ी की राजनीति अब सिर्फ स्थानीय नहीं रही, यह बिहार की सत्ता की कुर्सी तक असर डाल सकती है।

 

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By admin

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