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मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज पहुंची एक लड़की लिंग परिवर्तन कराकर लड़का बनना चाहती है। उसका कहना है कि वह दिखती तो लड़की है, मगर मन और हाव-भाव से लड़का है। उसके लिंग परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। एक साल तक उसकी काउंसिलिंग और हार्मोनल इलाज चलेगा। इसके बाद उसकी सर्जरी की जाएगी।

मेडिकल कॉलेज में यह इस तरह का पहला मामला नहीं है। पिछले ढाई साल में यहां छह लोगों के लिंग परिवर्तन हो चुके हैं। मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जन डॉ. भानु प्रताप सिंह ने बताया कि लिंग परिवर्तन के बाद यह शादी कर सकती है, पर इसके संतानोत्पत्ति नहीं हो पाएगी।

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लड़कियों में एक्स-एक्स क्रोमोसोम होते हैं, जबकि लड़कों में एक्सवाई क्रोमोसोम। इसमें एक्सवाई हैं, जिस वजह से इसमें लड़के के लक्षण हैं। प्रशासन से अनुमति और कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इसकी हार्मोनल दवाइयां और मनोचिकित्सक से काउंसिलिंग की जाएगी।

सर्जरी से पहले शपथ पत्र भी लिया जाएगा। दवाइयों से मर्दों जैसी आवाज और दाढ़ी आएगी। उन्होंने बताया कि जिन लोगों में यह सर्जरी की जाती है, उनमें जेंडर डिसमॉर्फिया या साइकलोजिकल डिसऑर्डर होता है। लड़कों में लड़कियों और लड़कियों में लड़कों जैसे लक्षण होते हैं।


माता-पिता के लिए बेटे और चार बहनों के लिए भाई की चाह पूरी करने के लिए 20 साल की लड़की एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में लिंग पुनर्निर्धारण सर्जरी के जरिये लड़का बन गई।

इस परिवार में लिंग निर्धारण कराने वाले समेत पांच लड़कियां थीं, इसलिए परिवार ने सबसे बड़ी लड़की को लड़का बनाने का निर्णय लिया था। वह शुरू से रहती भी लड़कों की तरह ही थी। जून 2022 में हुआ पश्चिम उप्र के किसी मेडिकल कॉलेज में यह पहला ऑपरेशन था।

 
साल 2022 में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज की सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में दो लड़कों को सर्जरी कर लड़कियां बनाया गया था। लड़की बनाया गया युवक मुजफ्फरनगर जिले का 19 साल का था, जबकि दूसरा 18 साल का बिजनौर का था। ये दोनों लड़कियों की तरह ही रहते थे। इनकी पुरुष से महिला में पुनर्निर्माण सर्जरी की गई थी, जो करीब 4 घंटे चली थी।


डॉ. भानु प्रताप सिंह ने बताया कि सर्जरी में बड़ी आंत का इस्तेमाल कर नई वजाइना बनाने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया सिग्मॉइड वैजिनोप्लास्टी के रूप में जानी जाती है। लड़का बनाने के लिए बाएं हाथ से मोटी खाल निकालकर ऑपरेशन के बाद पतली नसों को जोड़कर लिंग रोपण किया जाता है।


प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि इस सर्जरी और इलाज में करीब 40 से 50 हजार रुपये का खर्च आता है। निजी अस्पताल में यह सर्जरी कराने पर पांच से छह लाख रुपये खर्च आता है। मेडिकल के सुपरस्पेशियलिटी ब्लाॅक के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम यह करती है।


इन दिनों मुजफ्फरनगर जिले का एक मामला भी चर्चा में है, जहां युवक ने जबरन लिंग परिवर्तन करने का आरोप लगाते हुए चिकित्सक समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। हालांकि मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के सीएमएस का कहना है कि लिंग परिवर्तन नियमानुसार हुआ है। उनके पास इसके सुबूत हैं।

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