बिहार में जमीन सर्वे और मोटेशन के काम के साथ-साथ अंचल कार्यालयों में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। ताज़ा मामला औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड का है, जहां दाखिल-खारिज के नाम पर राजस्व कर्मचारी ने एक किसान से ₹1.70 लाख की रिश्वत की मांग की।
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने मंगलवार को ओबरा अंचल कार्यालय में पदस्थापित राजस्व कर्मचारी **प्रमोद कुमार** को ₹20,000 की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
**शिकायत और सत्यापन की प्रक्रिया**
मानिकपुर गांव निवासी किसान **उदय कुमार** ने पटना स्थित निगरानी ब्यूरो कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने परिमार्जन प्लस पोर्टल पर अपनी जमीन के दाखिल-खारिज के लिए आवेदन किया था, लेकिन छह महीने से उनका काम लंबित था। जब उन्होंने कार्यालय में संपर्क किया तो कर्मचारी ने ₹1.70 लाख की रिश्वत मांगी।
शिकायत के अनुसार, कर्मचारी ने कहा था कि ₹1.50 लाख अंचल अधिकारी को और ₹20,000 वह खुद रखेगा। पूरी रकम एक साथ देने पर दो दिन में काम कराने का वादा किया गया था, जबकि किश्तों में रकम देने पर काम भी किश्तों में आगे बढ़ाने की बात कही गई।
शिकायत की गंभीरता को देखते हुए निगरानी थाना में एफआईआर संख्या 60/2025 दर्ज हुई। सत्यापन की जिम्मेदारी पुलिस अवर निरीक्षक राहुल कुमार को दी गई, जिन्होंने जांच के दौरान आरोपों को सही पाया। इसके बाद पुलिस उपाधीक्षक **विकास श्रीवास्तव** के नेतृत्व में 6 सदस्यीय टीम गठित की गई।
**लंच बॉक्स में रखवाई गई रिश्वत**
योजना के तहत मंगलवार को शिकायतकर्ता उदय कुमार ₹20,000 लेकर ओबरा अंचल कार्यालय पहुंचे। प्रमोद कुमार ने उन्हें कहा कि रकम उसके जूट के लंच बैग के खाली लंच बॉक्स में रख दें। जैसे ही पैसे रखे गए, उदय कुमार बाहर निकले और पहले से घात लगाए निगरानी टीम को इशारा किया। टीम तुरंत कमरे में दाखिल हुई और कर्मचारी को रंगे हाथ पकड़ लिया।
**कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया**
गिरफ्तारी के बाद निगरानी टीम कर्मचारी को औरंगाबाद सर्किट हाउस लेकर गई, जहां मीडिया को पूरी जानकारी दी गई। इसके बाद आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी कर कर्मचारी को पटना ले जाया गया। बुधवार को उसे निगरानी की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेजने की प्रक्रिया पूरी होगी।
**अंचल अधिकारी की भूमिका पर सवाल**
शिकायत में अंचल अधिकारी का नाम सामने आने से मामले ने और गंभीर रूप ले लिया है। अब निगरानी विभाग इस पहलू की भी जांच करेगा कि क्या वास्तव में रकम का बड़ा हिस्सा अंचल अधिकारी तक पहुंचना था।
**बढ़ता भ्रष्टाचार और जन परेशानी**
राज्य में जमीन सर्वे और मोटेशन प्रक्रिया में देरी के साथ-साथ रिश्वतखोरी की शिकायतें आम हो गई हैं। बिना पैसे दिए काम महीनों लटका रहता है, जिससे आम नागरिक परेशान हैं और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं
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