भागलपुर: रविवार को राज्यपाल के आगमन को लेकर शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। हवाई अड्डा सड़क मार्ग से लेकर जीरो माइल तक तीन घंटे तक रुक-रुक कर भीषण जाम की स्थिति बनी रही। यह स्थिति सुबह करीब 10:00 बजे शुरू हुई और दोपहर एक बजे तक लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

इस दौरान जीरो माइल से लेकर तिलकामांझी, हाउसिंग कॉलोनी, स्टेशन चौक, सरकारी बस डिपो और अन्य प्रमुख सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें देखी गईं। यातायात की बदहाल व्यवस्था ने शहरवासियों को घंटों तक परेशान किया। विशेषकर कामकाजी लोग, स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र और रेलवे स्टेशन जाने वाले यात्रियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
तिलकामांझी से हाउसिंग कॉलोनी तक हर तरफ जाम
राज्यपाल के काफिले के मार्ग को सुरक्षित और खाली करने के चक्कर में यातायात व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई। जीरो माइल पर जाम लगने के बाद गाड़ियाँ वैकल्पिक मार्ग से हाउसिंग कॉलोनी की तरफ मोड़ी गईं, लेकिन वहां भी जाम ने लोगों को नहीं बख्शा। तिलकामांझी के पास सरकारी बस डिपो के पास भी गाड़ियाँ रेंगती नजर आईं। जाम की स्थिति इतनी भयावह थी कि सुबह 10:50 बजे करीब तीस मिनट तक वाहनों की कतारें बिल्कुल थम गईं।
स्टेशन चौक पर भी जाम, यात्रियों को भारी परेशानी
दोपहर करीब एक बजे स्टेशन चौक पर भी गाड़ियों की लंबी लाइन लग गई थी। रेलवे स्टेशन की ओर जाने वाले कई यात्री अपने निर्धारित समय पर ट्रेन पकड़ने नहीं पहुंच पाए। कई ऑटो और निजी वाहन स्टेशन के बाहर फंसे रहे।
यातायात पुलिस की तैनाती पर उठे सवाल
हालांकि, यातायात पुलिस उपाधीक्षक आशीष कुमार सिंह ने कहा कि राज्यपाल के आगमन को लेकर माकूल संख्या में ट्रैफिक पुलिस की तैनाती की गई थी, लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ और ही नजर आई। लोगों का कहना था कि कई जगहों पर यातायात कर्मी नदारद थे और जहाँ थे भी, वहाँ ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए समुचित योजना नहीं दिखी।
आमजन हुए परेशान
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा परेशानी आमजन को उठानी पड़ी। कई स्कूली बच्चे, ऑफिस जा रहे कर्मचारी, बीमार लोगों को लेकर जा रहे एंबुलेंस और बुजुर्ग यात्री घंटों तक फंसे रहे। लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर वीआईपी मूवमेंट है, तो प्रशासन को पहले से वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी ताकि आमजन का जीवन बाधित न हो।
समाधान की दरकार
हर बार वीआईपी मूवमेंट के दौरान शहर में ऐसी अव्यवस्था चिंता का विषय बनती जा रही है। प्रशासन को चाहिए कि ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए तकनीकी साधनों का उपयोग करे, वैकल्पिक मार्गों को पहले से चिन्हित करे और पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित ट्रैफिक कर्मियों की तैनाती करे।
निष्कर्षतः, राज्यपाल के आगमन को लेकर शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की पोल एक बार फिर खुल गई है। आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से सबक लेकर आमजन के जीवन को कम से कम प्रभावित किया जाए।
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