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राजद सुप्रीमो और बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव के 78वें जन्मदिन समारोह में ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। समारोह के दौरान संविधान निर्माता और दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को लालू यादव के चरणों के पास रखे जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस पर तमाम विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

राजनीति
 



इस पूरे मामले पर जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी। शनिवार को सहरसा में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि लालू यादव इस समय बीमार चल रहे हैं और संभव है कि वह मंच पर की गई हर व्यवस्था से पूरी तरह अवगत न रहे हों। उन्होंने कहा कि यह चूक जानबूझकर नहीं की गई होगी, बल्कि कार्यकर्ताओं के जोश और उत्साह में अनजाने में हो गई चूक प्रतीत होती है।

पप्पू सिंह ने कहा, “कार्यकर्ता अपने नेता के जन्मदिन को उत्सव के रूप में मना रहे थे और इसी दौरान उन्होंने अंबेडकर जी की तस्वीर को उस स्थान पर रख दिया जो अनुचित था। बाबा साहेब की तस्वीर को हमेशा सम्मानजनक स्थान पर रखा जाना चाहिए। यह महज एक प्रतीकात्मक गलती थी, लेकिन इससे भावनाएं आहत हुई हैं। इससे हमें सबक लेना चाहिए कि जब हम सार्वजनिक कार्यक्रम करते हैं तो ऐसी चीजों को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।”

हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लालू यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव को इस विषय पर स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से बोलना चाहिए था। पप्पू सिंह ने कहा, “इस दिन सिर्फ केक काटना और गीत गाना काफी नहीं था। उन्हें इस मुद्दे पर भी बात करनी चाहिए थी और जनता को यह भरोसा दिलाना चाहिए था कि वे ऐसे प्रतीकों और महान व्यक्तित्वों का आदर करते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह वक्त भावनात्मक मुद्दों में फंसने का नहीं है, बल्कि वास्तविक समस्याओं पर सवाल करने का है। “बिहार में बेरोजगारी चरम पर है, शिक्षा व्यवस्था बदहाल है और हर साल लाखों लोग पलायन कर रहे हैं। अगर लालू यादव और तेजस्वी यादव दोबारा सत्ता में आते हैं तो क्या इन समस्याओं का समाधान करेंगे? यही सवाल जनता को उनसे पूछना चाहिए।”

पप्पू सिंह ने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे डॉ. अंबेडकर के नाम पर राजनीति बंद करें। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर केवल एक वर्ग के नहीं, बल्कि पूरे देश के मार्गदर्शक हैं और उनका सम्मान सभी दलों को समान रूप से करना चाहिए।

उन्होंने अपनी पार्टी ‘जन सुराज पार्टी’ की नीति को स्पष्ट करते हुए कहा, “हम जातिवाद की नहीं, बल्कि विकासवाद की राजनीति करते हैं। हमारा उद्देश्य है कि हर युवा को रोजगार मिले, हर बच्चा अच्छी शिक्षा पाए और हर नागरिक को स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध हों।”

पप्पू सिंह ने अंत में आम जनता से भी एक भावनात्मक अपील की। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जनता भी नेताओं से जाति या धर्म के नाम पर वोट न दे, बल्कि यह पूछे कि उनके लिए रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए वे क्या कर रहे हैं।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर साबित किया है कि बिहार की राजनीति में प्रतीकों की भूमिका अहम है। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि नेता और जनता, दोनों ही, भावनात्मक मुद्दों से ऊपर उठकर विकास के एजेंडे पर बात करें और समाधान की राजनीति को आगे बढ़ाएं।

 

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By admin

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