बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में असंतोष का बड़ा विस्फोट हुआ है। टिकट वितरण में पक्षपात और उपेक्षा के आरोपों के बीच पार्टी के अति पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ से जुड़े करीब 50 नेताओं ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा पार्टी के लिए चुनावी रणनीति के बीच एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जिससे संगठन में मचे आंतरिक घमासान ने लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
दरभंगा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस्तीफा देने वाले नेताओं ने सीधे पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और प्रदेश नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि टिकट वितरण में समर्पित और जमीनी कार्यकर्ताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अति पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. कुमार गौरव ने कहा—
> “हम अति पिछड़ा समाज वर्षों से राजद के लिए खून-पसीना बहाते रहे हैं, लेकिन टिकट वितरण में इस समाज को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। अब पार्टी में विचारधारा का स्थान चापलूसी और आर्थिक ताकत ने ले लिया है।”
इस्तीफा देने वाले प्रमुख नेताओं में भोला सहनी (प्रदेश महासचिव व पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष), कुमार गौरव (प्रदेश उपाध्यक्ष), गोपाल लाल देव (प्रधान महासचिव), श्याम सुंदर कामत (जिला महासचिव), सुशील सहनी (प्रदेश सचिव) समेत विभिन्न जिलों के प्रखंड अध्यक्ष और पंचायत स्तर के पदाधिकारी शामिल हैं।
भोला सहनी ने कहा—
> “पार्टी में समर्पित और ईमानदार कार्यकर्ताओं का मनोबल लगातार टूट रहा है। यह असंतोष आगामी चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर सीधा असर डालेगा। अब हम सम्मानजनक राजनीति करेंगे, न कि अपमानजनक समझौते।”
इन नेताओं ने कहा कि वे वर्षों से पार्टी के लिए संघर्ष करते रहे, लेकिन टिकट बंटवारे के दौरान उन्हें कोई महत्व नहीं दिया गया। उनके अनुसार, टिकट तय करने में योग्यता या जनाधार की बजाय “निष्ठा और नजदीकी” को प्राथमिकता दी गई है।
चुनावी रणनीति पर संकट:
राजद में यह बगावत चुनावी रणनीति के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है। अति पिछड़ा वर्ग बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है। अगर यह वर्ग असंतुष्ट होकर अन्य विकल्पों की ओर झुकता है, तो राजद को ग्रामीण क्षेत्रों में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सूत्रों का कहना है कि कुछ इस्तीफा देने वाले नेता अब महागठबंधन के ही दूसरे घटक दलों, जैसे विकासशील इंसान पार्टी (VIP) या समाजवादी पार्टी से संपर्क में हैं।
अन्य दलों में भी उठी बगावत की लहर:
राजद ही नहीं, बल्कि अन्य प्रमुख दलों में भी टिकट वितरण को लेकर असंतोष देखने को मिला है।
जदयू में दरभंगा और मधुबनी जिले के 20 से अधिक नेताओं ने टिकट न मिलने पर इस्तीफा दे दिया।
भाजपा में वैशाली और सीतामढ़ी में करीब 15 कार्यकर्ताओं ने पक्षपात का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में भी असंतोष सामने आया है, जहां समस्तीपुर में 8 पदाधिकारियों ने चिराग पासवान के फैसले पर नाराजगी जताई।
राजद नेतृत्व पर दबाव बढ़ा:
राजद की ओर से अभी तक इस सामूहिक इस्तीफे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि पार्टी उच्च नेतृत्व ने जिला स्तर के पदाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है और असंतुष्ट नेताओं को मनाने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बगावत राजद के लिए एक चेतावनी है। अगर टिकट वितरण में असंतुलन नहीं सुधारा गया, तो चुनाव के दौरान यह असंतोष वोटों में भारी गिरावट के रूप में दिख सकता है।
निष्कर्ष:
बिहार की सियासत में टिकट वितरण हमेशा से विवाद का विषय रहा है, लेकिन इस बार राजद में उठी बगावत ने चुनावी माहौल को और भी गर्मा दिया है। अब देखना होगा कि तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव इस संकट से पार्टी को कैसे उबारते हैं, क्योंकि अति पिछड़ा वर्ग का भरोसा खोना राजद के लिए चुनावी समीकरण बदल सकता है।
