नई दिल्ली:
नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूपीआई (UPI) पेमेंट सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है। मौजूदा पिन-आधारित सिस्टम की जगह अब **बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन** शुरू किया गया है। इस नए सिस्टम के तहत अब यूपीआई भुगतान को फिंगरप्रिंट या फेस रिकग्निशन जैसे बायोमेट्रिक तरीकों से प्रमाणित किया जा सकेगा।
यह सुविधा डिवाइस पर ही कार्य करेगी और इसे अप्रैल 2016 से प्रचलित यूपीआई पिन के स्थान पर उपयोग किया जा सकेगा। वित्तीय सेवा सचिव **एम. नागराजू** ने मंगलवार को **वैश्विक फिनटेक शिखर सम्मेलन** में इस नई तकनीक का अनावरण किया।
एनपीसीआई के अनुसार, यह नया फीचर पिन-आधारित यूपीआई ऑथेंटिकेशन का एक अधिक सहज, सुरक्षित और उपयोगकर्ता-अनुकूल विकल्प है। इसका उपयोग न केवल भुगतान करने में, बल्कि एटीएम से नकद निकासी, पिन सेट या रीसेट करने जैसे कार्यों में भी किया जा सकेगा।
उच्चतम स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित
एनपीसीआई ने कहा कि यह सुविधा वैकल्पिक होगी — यानी ग्राहक इसे चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। संगठन के अनुसार, “हर ट्रांजैक्शन को जारीकर्ता बैंक द्वारा मजबूत क्रिप्टोग्राफिक जांच के माध्यम से स्वतंत्र रूप से सत्यापित किया जाएगा, जिससे उपयोगकर्ता को निर्बाध अनुभव के साथ उच्चतम स्तर की सुरक्षा मिलेगी।”
बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन की शुरुआत से वरिष्ठ नागरिकों और पहली बार डिजिटल भुगतान करने वालों के लिए यूपीआई पर ऑनबोर्डिंग आसान हो जाएगी। अब तक यूपीआई पिन बनाने के लिए डेबिट कार्ड की जानकारी दर्ज करनी पड़ती थी या आधार ओटीपी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। लेकिन **आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन** से यह प्रक्रिया अब तेज़, सरल और अधिक समावेशी हो गई है।
आरबीआई की चिंता और नई दिशा
आरबीआई लंबे समय से यूपीआई पिन से जुड़ी धोखाधड़ी और फिशिंग मामलों को लेकर चिंतित रहा है। केंद्रीय बैंक ने वित्तीय संस्थानों से आग्रह किया था कि वे पिन या ओटीपी पर निर्भर रहने के बजाय **बायोमेट्रिक्स और व्यवहार-आधारित जोखिम विश्लेषण** जैसे सुरक्षित विकल्प अपनाएं।
यूपीआई में फिलहाल **प्राइमरी फैक्टर ऑथेंटिकेशन** डिवाइस बाइंडिंग (एसएमएस आधारित) है, जबकि **पिन सेकेंडरी फैक्टर** के रूप में काम करता है। तीन साल पहले वैकल्पिक ऑथेंटिकेशन की पहल शुरू हुई थी, लेकिन धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं के चलते इसकी गति अब बढ़ा दी गई है।
डिजिटल पेमेंट में भारत अग्रणी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत आज दुनिया में डिजिटल भुगतान का वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने बताया कि दुनिया के कुल रियल-टाइम डिजिटल ट्रांजैक्शन का 50 प्रतिशत हिस्सा भारत में होता है।
उन्होंने कहा, “भारत में डिजिटल भुगतान की अपनाने की दर 87 प्रतिशत है, जबकि वैश्विक औसत 67 प्रतिशत है। वित्तीय वर्ष 2025 में देश में 18,580 करोड़ से अधिक यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल कीमत 261 ट्रिलियन रुपये रही।”
वर्तमान में यूपीआई देश की सबसे लोकप्रिय डिजिटल भुगतान प्रणाली है, जो सभी ऑनलाइन लेनदेन का करीब 85 प्रतिशत नियंत्रित करती है। मोबाइल पेमेंट प्लेटफॉर्म हर महीने लगभग 20 अरब ट्रांजैक्शन को सक्षम बनाता है, जिसकी कुल कीमत 25 ट्रिलियन रुपये से अधिक है।
निष्कर्ष
एनपीसीआई का यह कदम भारत की डिजिटल पेमेंट सुरक्षा को एक नए स्तर पर ले जाएगा। बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन न केवल सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि डिजिटल लेनदेन को आम लोगों के लिए और अधिक सरल, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाएगा।
