युवकयुवक

भागलपुर, बिहार – जिले के अकबरनगर थाना क्षेत्र में फोरलेन निर्माण कार्य के दौरान एक हृदयविदारक हादसे में मिथिलेश कुमार नामक युवक की मौत हो गई। यह हादसा उस वक्त हुआ जब निर्माण स्थल पर चल रहे भारी वाहन, रोड रोलर की चपेट में वह आ गया। हादसे के तुरंत बाद मजदूरों ने जब इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी, तो प्रशासनिक लापरवाही का ऐसा उदाहरण सामने आया, जिसने एक युवा की जान ले ली।

युवक
युवक



**घटना की पूरी जानकारी**

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मिथिलेश कुमार फोरलेन निर्माण कार्य के लिए लगे प्लांट में मजदूरी करता था। बुधवार की सुबह वह रोज़ की तरह काम कर रहा था। तभी अचानक एक रोड रोलर ने उसे कुचल दिया। मौके पर मौजूद मजदूरों का कहना है कि हादसे के तुरंत बाद अफरा-तफरी मच गई। मजदूरों ने तुरंत बड़े अधिकारियों को सूचना दी, लेकिन अपेक्षित राहत और चिकित्सा सहायता समय पर नहीं मिली।

मजदूरों का आरोप है कि घायल अवस्था में मिथिलेश को अस्पताल ले जाने की बजाय पुलिस उसे थाने ले गई। उन्होंने कहा कि अगर उसे सीधे अस्पताल ले जाया जाता, तो शायद उसकी जान बच सकती थी। इस लापरवाही पर मजदूरों ने प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।

**थाने में हुई युवक की मौत**

सूत्रों के मुताबिक, घायल मिथिलेश को घटनास्थल से एंबुलेंस की बजाय पुलिस वैन में बैठाकर थाना ले जाया गया। वहां उसकी स्थिति बिगड़ती चली गई और अंततः उसकी मौत हो गई। पुलिस की इस असंवेदनशीलता ने न सिर्फ मजदूर समुदाय में रोष फैलाया, बल्कि मृतक के परिजनों को भी गहरे सदमे में डाल दिया।

**पोस्टमार्टम के दौरान हंगामा**

गुरुवार को जब मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भागलपुर मेडिकल कॉलेज लाया गया, तो उसके साथी मजदूरों और दोस्तों ने जमकर हंगामा किया। उन्होंने अस्पताल प्रशासन और पुलिस पर आरोप लगाया कि मिथिलेश की जान जानबूझकर लापरवाही के कारण गई। हंगामे की सूचना मिलते ही भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर तैनात कर दिया गया।

मजदूरों ने कहा कि वे अब इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाया, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

**मिथिलेश की कहानी**

मिथिलेश कुमार, मधेपुरा जिले का रहने वाला था और काफी मेहनती युवक था। वह मजदूरी करके अपनी पढ़ाई का खर्चा खुद उठाता था। साथियों के अनुसार, वह हमेशा दूसरों की मदद करता था और उसका सपना था कि पढ़-लिखकर एक बेहतर नौकरी करे और अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकाले। उसकी अचानक मौत ने उसके सपनों के साथ-साथ उसके परिवार की उम्मीदों को भी तोड़ दिया।

**प्रशासन की प्रतिक्रिया**

इस मामले में प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। स्थानीय पुलिस अधिकारी ने सिर्फ इतना कहा कि “मामले की जांच की जा रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।”

हालांकि, मजदूर संघों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से यह सवाल पूछा है कि एक घायल व्यक्ति को पहले अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया। क्या एक गरीब मजदूर की जान इतनी सस्ती है?

**मांग उठी मुआवजे और कार्रवाई की**

मिथिलेश के साथियों और परिजनों ने प्रशासन से मांग की है कि मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए, साथ ही जिन लोगों की लापरवाही से उसकी जान गई, उन पर सख्त कार्रवाई हो। कई मजदूर संगठनों ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि अगर मजदूरों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी गई, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

**समाप्ति पर एक सवाल**

यह घटना सिर्फ एक युवक की मौत की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर सवाल है जो गरीबों और मजदूरों की ज़िंदगियों को गंभीरता से नहीं लेती। मिथिलेश जैसे युवाओं की मेहनत पर देश की सड़कें बनती हैं, मगर उनकी सुरक्षा और जीवन की कीमत शायद आज भी दोयम दर्जे की समझी जाती है।

अब देखना यह है कि प्रशासन इस घटना से सबक लेता है या एक और ‘मामला बंद’ फाइल बनाकर छोड़ दिया जाएगा।

 

अपना बिहार झारखंड पर और भी खबरें देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

सहरसा में बड़ी साजिश नाकाम: कार्बाइन और कारतूस के साथ युवक गिरफ्तार, पुलिस की सतर्कता से टली बड़ी वारदात

सहरसा किलकारी बाल भवन में 3 से 22 जून तक रचनात्मक छुट्टियों का आयोजन

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *