रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने मोबाइल टैरिफ में भारी बढ़ोतरी की है। इससे महंगाई से जूझ रहे आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इससे शहरी इलाकों में टेलिकॉम सर्विसेज पर खर्च वित्त वर्ष 2025 में कुल घरेलू खर्च का 2.8 फीसदी हो जाएगा। ग्रामीण परिवारों के लिए यह 4.5 फीसदी से बढ़कर 4.7 फीसदी हो जाएगा लेकिन सरकार और टेलिकॉम रेगुलेटर ट्राई (TRAI) ने कहा है कि टेलिकॉम कंपनियां टैरिफ फिक्स करने के लिए स्वतंत्र हैं और उनका इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि भारत में मोबाइल टैरिफ अब भी दुनिया के अधिकांश देशों से सस्ता है। दूसरी ओर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में मोबाइल टैरिफ भारत से सस्ता है।
हालिया बढ़ोतरी के बाद रिलायंस जियो का मिनिमम सर्विस चार्ज 139 रुपए से बढ़कर 189 रुपए हो गया है। इसमें 28 दिन की वैलिडिटी और दो जीबी डेटा शामिल है। इसी तरह एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का भी मिनिमम सर्विस चार्ज 179 रुपए से बढ़कर 199 रुपए हो गया है लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में महीनेभर के लिए अनलिमिटेड वॉयस और 18 जीबी डेटा के लिए आपको 1.89 डॉलर यानी करीब 157 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। यह रेट सरकारी कंपनी बीएसएनएल का है। बीएसएनएल पहले एक प्राइस रेगुलेटर की तरह काम करता था। इससे प्राइवेट कंपनियां टैरिफ बढ़ाने से बचती थीं। लेकिन कंपनी 4-जी और 5-जी सर्विसेज के मामले में निजी कंपनियों के साथ होड़ करने की स्थिति में नहीं है।
सरकार ने कई देशों में मोबाइल टैरिफ के बारे में डिटेल जानकारी देते हुए भारत से उनकी तुलना की है। इन आंकड़ों के मुताबिक चीन में मिनिमम सर्विस के लिए यूजर्स को 8.84 डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं। अफगानिस्तान में यह राशि 4.77 डॉलर, भूटान में 4.62 डॉलर, बांग्लादेश में 3.24 डॉलर और नेपाल में 2.75 डॉलर है यानी इन देशों में मोबाइल टैरिफ भारत से महंगा है। वहीं पाकिस्तान में मोबाइल यूजर्स को अपनी सर्विस बनाए रखने के लिए मिनिमम 1.39 डॉलर खर्च करने पड़ते हैं यानी पाकिस्तान में मोबाइल टैरिफ भारत से सस्ता है।
अमेरिका में मिनिमम मोबाइल रिचार्ज प्लान 49 डॉलर यानी करीब 4000 रुपए का है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में इसके लिए यूजर्स को 20.1 डॉलर, साउथ अफ्रीका में 15.8 डॉलर, यूके में 12.5 डॉलर, रूस में 6.55 डॉलर, ब्राजील में 6.06 डॉलर, इंडोनेशिया में 3.29 डॉलर, मिस्र में 2.55 डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। भारत में टेलिकॉम कंपनियों ने प्रति यूजर औसत राजस्व (ARPU) बढ़ाने के लिए टैरिफ में बढ़ोतरी की है। उन्होंने महंगे 5G स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए बहुत ज्यादा पैसे चुकाए हैं लेकिन अभी तक बहुत कम मोनेटाइजेशन हुआ है। यह नवंबर 2021 के बाद मोबाइल टैरिफ में पहली बड़ी बढ़ोतरी है।
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