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प्रारंभिक स्कूलों में मध्याह्न भोजन में एक जुलाई से सप्ताह में एक दिन गर्म दूध देने योजना फिलहाल टल गई है। शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया था कि चयनित 12 स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा पहले चरण में 44 प्रखंडों के चुनिंदा स्कूलों में यह योजना चलेगी। अपरिहार्य कारणों से टली इस योजना के शुरू होने अगली तिथि अभी तय नहीं है।

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जुलाई से सितंबर तक उक्त 44 प्रखंडों में भी पूर्व की भांति विद्यालय शिक्षा समिति के माध्यम से ही मध्याह्न भोजन योजना के संचालन का निर्णय लिया गया है। अक्टूबर से नयी व्यवस्था लागू की जा सकती है, जिसपर कुछ दिनों में निर्णय लिया जाएगा। जुलाई से बच्चों को दूध देने की योजना शुरू नहीं हो सकेगी। मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय ने 15 मई को चयनित संस्थाओं को पत्र लिखा था। कहा था कि पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को 100 ग्राम तथा छह से आठ कक्षा के बच्चों को 150 ग्राम गर्म दूध मिलेगा। इसके लिए स्वयंसेवी संस्था के द्वारा क्रमश 12 ग्राम एवं 18 ग्राम दूध पाउडर की आपूर्ति की जाएगी।

केंद्रीयकृत किचन में दूध तैयार किया जाएगा और स्कूल में उसकी आपूर्ति की जाएगी। चरणवार अन्य प्रखंडों के स्कूलों में भी दूध की आपूर्ति होनी है। राज्य में 68 हजार प्रारंभिक स्कूलों में (कक्षा एक से आठ) मध्याह्न भोजन योजना संचालित होती हैं। इनमें करीब दस हजार स्कूलों में स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा पका पकाया भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

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