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उपमुख्यमंत्री सह वित्त एवं वाणिज्य कर मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से बिहार को अधिक आबादी होने का फायदा मिल रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद से राज्य के राजस्व संग्रह में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2023-24 में जीएसटी संग्रह बढ़कर 38198 करोड़ हो गया है। पहले बड़ी आबादी को नुकसानदेह समझा जाता था।

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उपभोक्ता राज्य होने के कारण वस्तुओं की खपत यहां अधिक है। इसलिए जीएसटी के बाद धारणा भी बदली है। जीएसटी के डेस्टिनेशन टैक्स होने के कारण जिन राज्यों में उत्पादन यूनिटें अधिक हैं, वहां की राज्य सरकारें इस नई व्यवस्था का विरोध कर रही थी। अब कहीं विरोध नहीं है। श्री चौधरी सोमवार को कर-भवन में जीएसटी की सातवीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम को उद्घाटन के बाद संबोधित कर रहे थे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में निवेश एवं स्थानीय उद्योगों के विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद व्यवसायी व्हाइट कॉलर की श्रेणी में आ गये हैं। पहले सरकार की कार्य विभागों से कर लेने में परेशानी होती थी, लेकिन अब वहां से उचित कर मिलने लगा है। सरकारी खरीदद में 50 फीसदी उत्पाद स्थानीय उत्पादकों से खरीदे जाएंगे। इसके लिए उद्योग विभाग एक विशेष नीति बनाने जा रहा है। वाणिज्य कर विभाग की सचिव सह आयुक्त डॉ. एस प्रतिमा ने कहा कि पिछले सात वर्षों में जीएसटी स्थिर हो चुका है। बिहार देश के उन पांच राज्यों में से है, जिसका जीएसटी संग्रह 18 फीसदी की दर से हुआ है। जल्द ही राज्य में जीएसटी ट्रिब्यूनल भी खुलेगा।

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