बिहार के अरवल जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता की एक बड़ी तस्वीर सामने आई है। सदर प्रखंड के फखरपुर गांव में वर्ष 2019 में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) की स्वीकृति मिली थी, लेकिन पांच साल बीतने के बाद भी उसका भवन नहीं बन सका। नतीजतन, आज भी यहां के ग्रामीणों को इलाज के लिए शहर का रुख करना पड़ता है।
फखरपुर पीएचसी की योजना के तहत छह बेड का अस्पताल, जांच कक्ष, निबंधन काउंटर और 24 घंटे की चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जानी थी। विभाग ने 2022 में आयुष चिकित्सक डॉ. राज कुमार की नियुक्ति भी कर दी, लेकिन जब वे योगदान देने पहुंचे तो अस्पताल भवन ही मौजूद नहीं था। इसके बाद विभाग ने उन्हें कुर्था प्रखंड के पिंजरावा में प्रतिनियुक्त कर दिया।
स्थानीय मुखिया विवेकानंद यादव ने बताया कि अस्पताल निर्माण के लिए प्रस्तावित जमीन रामपुर हाजी में चिन्हित की जा चुकी है (थाना संख्या 38, खाता संख्या 50, खेसरा संख्या 208) लेकिन अभी तक एक भी ईंट नहीं रखी गई है। उन्होंने 2022 में ही विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखकर इस स्वास्थ्य केंद्र को चालू कराने की मांग की थी, मगर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
मुखिया का सुझाव है कि जब तक भवन का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक फखरपुर में स्थित पुराने पंचायत भवन में ही अस्थायी रूप से अस्पताल चालू किया जाए। यह भवन पूरी तरह खाली है और उसमें दो कमरे, बरामदा, शौचालय तथा पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है। ग्रामीणों की भी यही मांग है कि कोई विकल्प निकालकर जल्द से जल्द चिकित्सा सुविधा शुरू की जाए, ताकि कम से कम प्राथमिक इलाज के लिए उन्हें भटकना न पड़े।
इस संबंध में जब डॉ. राज कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे नियमानुसार योगदान देने गए थे, लेकिन अस्पताल नहीं था। विभाग ने उन्हें दूसरी जगह भेज दिया। वहीं, सिविल सर्जन डॉ. राय कमलेश्वर नाथ सहाय ने कहा कि फखरपुर पीएचसी की स्वीकृति 2019 में मिल चुकी थी, लेकिन भवन निर्माण न होने के कारण डॉक्टर को दूसरी जगह तैनात किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि भवन निर्माण के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है और निर्माण कार्य शुरू होने के बाद चिकित्सक की तैनाती वहीं की जाएगी।
फिलहाल यह पूरा मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे कागजों में योजनाएं बनती हैं, अधिकारी नियुक्त होते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत बदलती नहीं। जब जमीन भी उपलब्ध है और जनता को इसकी सख्त जरूरत है, तो फिर सवाल यह है कि स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण क्यों नहीं हो पा रहा? क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है? अब जरूरत है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे पर त्वरित और ठोस कार्रवाई करें, ताकि फखरपुर के लोगों को भी बुनियादी स्वास्थ्य सेवा का अधिकार मिल सके।
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