पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का पटना दौरा खासा चर्चा में है। संघ प्रमुख राजधानी पटना के मरचा मरची रोड स्थित केशव सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित प्रथम वर्ष विशेष कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग में पहुंचे। भागवत ने शिविर का निरीक्षण किया और कार्यकर्ताओं को राष्ट्रवाद, समाज निर्माण और संगठन विस्तार के मुद्दों पर मार्गदर्शन भी दिया।
युवाओं को मैदान में उतारने की तैयारी
यह प्रशिक्षण वर्ग 24 मई से चल रहा है और 13 जून को समाप्त होगा। खास बात यह है कि यह वर्ग 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं के लिए है और इसे लेकर संघ बेहद गंभीर है। पटना सिटी में युवाओं का प्रशिक्षण वर्ग चल रहा है, जबकि मुजफ्फरपुर में 40 से अधिक उम्र के कार्यकर्ताओं का कैंप लगाया गया है। वहीं, सीतामढ़ी में द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण शिविर संचालित हो रहा है।
संघ इस बार अपनी यूथ ब्रिगेड को चुनाव पूर्व एक्टिव मोड में ला रहा है। इन प्रशिक्षित युवाओं को बूथ स्तर तक जिम्मेदारी देकर संगठन को ज़मीनी स्तर पर मज़बूती देने की योजना है।
संघ प्रमुख का संदेश: राष्ट्रवाद को मजबूत करें
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्र की सेवा ही संगठन का उद्देश्य है। उन्होंने युवाओं से समाज में राष्ट्रवादी विचारधारा को मज़बूत करने की अपील की। उन्होंने व्यक्तित्व विकास, अनुशासन, और समाज में सद्भाव फैलाने पर विशेष बल दिया। संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि अधिक से अधिक लोग संघ से कैसे जुड़ें, इस पर कार्यकर्ताओं को ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
चुनावी तैयारियों में जुटा संघ
हालांकि संघ हमेशा कहता है कि वह सीधे राजनीति से नहीं जुड़ा है, लेकिन हालात कुछ और संकेत देते हैं। बिहार में तमाम प्रमुख संघ कार्यकर्ता बीते कुछ सप्ताह से डेरा जमाए हुए हैं। वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का कहना है कि चुनावी राज्यों में संघ की गतिविधियां स्वतः बढ़ जाती हैं। मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने, उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करने में संघ कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रहती है।
आरक्षण पर मोहन भागवत का पुराना बयान और 2015 की याद
मोहन भागवत के आरक्षण पर 2015 में दिए गए बयान ने उस समय का विधानसभा चुनाव प्रभावित किया था। उन्होंने कहा था कि आरक्षण की जरूरत और उसकी सीमा तय करने के लिए समिति बनाई जानी चाहिए, और आरक्षण के दुरुपयोग पर पुनर्विचार होना चाहिए। इस बयान को लालू यादव और महागठबंधन ने चुनावी मुद्दा बनाया था, जिससे बीजेपी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भागवत पूरी सतर्कता से अपने शब्द चुनते दिखाई दे रहे हैं।
क्या संघ देगा बीजेपी को बूस्टर?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो संघ भारतीय जनता पार्टी के लिए एक मजबूत आधार स्तंभ बनता रहा है। संघ कार्यकर्ता न केवल संगठनात्मक स्तर पर बीजेपी के समर्थन में रहते हैं, बल्कि बूथ प्रबंधन से लेकर मतदाता जागरूकता अभियान में भी अहम भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि बीजेपी हर चुनाव से पहले संघ से जुड़े वर्गों को सक्रियम बनाने पर जोर देती है।
महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की कोशिश
संघ के भीतर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। अरुण पांडे बताते हैं कि महिला स्वयंसेवक संख्या बढ़ाने की रणनीति पर संघ काम कर रहा है। चुनाव के दौरान महिला मतदाताओं को जोड़ने और उन्हें वोटिंग बूथ तक पहुंचाने के लिए महिला कार्यकर्ताओं की अलग टीम भी सक्रिय की जाएगी।
निष्कर्ष: संगठनात्मक मजबूती से बदलेगा सियासी समीकरण
बिहार में बीजेपी और सहयोगी दलों के सामने चुनावी चुनौतियां हैं। ऐसे में संघ के कार्यकर्ता चुपचाप और सुनियोजित तरीके से जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। मोहन भागवत का दौरा और प्रशिक्षण वर्ग इस बात का स्पष्ट संकेत है कि संघ चुनाव में किसी भी रूप में निष्क्रिय नहीं रहने वाला।
भविष्य की रणनीति में यह प्रशिक्षण वर्ग बीजेपी के लिए बूस्टर डोज साबित हो सकता है, और अगर सब योजना के मुताबिक चला तो संघ एक बार फिर पर्दे के पीछे से राजनीतिक संतुलन साधने का काम करेगा।
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