भागलपुर जिले के ललमटिया थाना क्षेत्र से एक दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है, जहां एक निर्माणाधीन मकान की छत पर काम कर रहे छड़ मिस्त्री की करंट लगने से मौत हो गई। यह हादसा उस वक्त हुआ जब मृतक मजदूर छत पर छड़ बिछा रहा था और उसकी छड़ का संपर्क पास से गुजर रही हाई वोल्टेज बिजली की तार से हो गया। हादसा इतना भयावह था कि वह बुरी तरह झुलस गया और कुछ ही समय में बेहोश होकर नीचे गिर पड़ा।
स्थानीय लोगों और मौके पर मौजूद अन्य मजदूरों ने तुरंत उसे पास के अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान स्थानीय निवासी के रूप में की गई है, जो कि पेशे से छड़ मिस्त्री था और इलाके में मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहा था।
घटना के बाद इलाके में मातम पसर गया है। मृतक के परिजन बदहवासी की हालत में हैं और उनका रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं दूसरी ओर, स्थानीय लोगों में बिजली विभाग और भवन निर्माण कार्य की देखरेख में हो रही लापरवाही को लेकर भारी नाराजगी देखी जा रही है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जिस मकान पर यह मजदूर काम कर रहा था, उसकी छत के बिल्कुल करीब से हाई वोल्टेज लाइन गुजर रही थी। यह तार बिना किसी सुरक्षा उपाय के वर्षों से इस क्षेत्र में लटक रही थी, लेकिन कभी भी बिजली विभाग ने इसे हटाने या शिफ्ट करने की पहल नहीं की। लोगों का कहना है कि यह हादसा लापरवाही का नतीजा है और यह एक हत्या के समान है।
स्थानीय निवासी सुरेश यादव ने बताया, “हमने कई बार बिजली विभाग से शिकायत की थी कि यह तार बहुत खतरनाक स्थिति में है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब एक गरीब मजदूर की जान चली गई, तब शायद कोई सुनवाई होगी।”
इस हादसे ने न सिर्फ बिजली विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भवन निर्माण के ठेकेदारों की जिम्मेदारी और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को भी उजागर कर दिया है। निर्माणाधीन मकानों पर कार्य कर रहे मजदूरों की सुरक्षा के लिए जरूरी उपकरणों और सावधानियों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे ऐसे हादसे बार-बार होते रहते हैं।
पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। ललमटिया थाना प्रभारी ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और बिजली विभाग से भी जवाब तलब किया जाएगा। वहीं, मृतक के परिजनों की ओर से कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
इस घटना के बाद सामाजिक संगठनों और मजदूर यूनियनों ने भी सरकार और बिजली विभाग के खिलाफ आवाज उठाई है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और पीड़ित परिवार को मुआवजा तथा एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए।
इस हादसे ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे निर्माण स्थलों पर मजदूरों की सुरक्षा कितनी उपेक्षित है। बिना किसी सुरक्षात्मक इंतजाम के ऊंचाई पर काम करने वाले मजदूरों की जिंदगी हर पल खतरे में रहती है। अगर समय रहते सुरक्षा मानकों को लागू किया जाए और जिम्मेदार विभाग सतर्क रहें, तो इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।
फिलहाल पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि बिजली विभाग की लापरवाही की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों को सजा दी जाए। साथ ही, भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के लिए पूरे क्षेत्र में बिजली की तारों का सही तरीके से प्रबंधन और मरम्मत की जाए।
भागलपुर में हुई इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब तक सरकारी विभागों की जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक आम लोगों और मजदूरों की जिंदगी यूं ही खतरे में पड़ी रहेगी।
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