भागलपुर। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य को तेज करने के लिए प्रशासन ने नाव और अन्य संसाधनों की व्यवस्था पूरी कर ली है। एडीएम आपदा कुंदन कुमार ने बताया कि जिले में कुल 154 नाविकों से करार किया गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा सके और राहत सामग्री वितरण में तेजी लाई जा सके।

उन्होंने बताया कि बड़ी यंत्र चालित नाव के लिए 1100 रुपये प्रतिदिन का किराया निर्धारित किया गया है। वहीं सामान्य बड़ी नाव 600 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से ली जाएगी। मंझोले साइज की यंत्र चालित नाव का किराया 900 रुपये और सामान्य नाव का किराया 400 रुपये तय किया गया है। छोटे साइज की यंत्र चालित नाव के लिए 750 रुपये तथा सामान्य नाव के लिए 300 रुपये प्रतिदिन का भुगतान किया जाएगा।
इसके अलावा राहत कार्यों को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए 11 मोटरबोट की व्यवस्था भी कर ली गई है। बाढ़ के दौरान लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 95 लाइफ जैकेट खरीदे गए हैं, ताकि किसी भी स्थिति में नाव में सवार सभी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। वहीं एक महाजाल भी लिया गया है, जो जलजमाव वाले इलाकों में फंसे लोगों को बाहर निकालने और राहत कार्य में उपयोग में लाया जाएगा।
एडीएम ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में अस्थायी शिविर बनाने के लिए 12 टेंट की व्यवस्था की गई है। इन टेंटों में बाढ़ से विस्थापित लोगों के लिए अस्थायी रूप से ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही प्रशासन ने पंचायत स्तर पर टीम बनाकर बाढ़ प्रभावित गांवों की पहचान कर ली है, जहां नाव की तैनाती की जाएगी।
प्रशासन का कहना है कि नाविकों से करार कर लेने से राहत कार्य में गति आएगी और बाढ़ आने की स्थिति में तुरंत लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि नाविकों को निर्देश दिया गया है कि किसी भी आपात सूचना मिलने पर वे तुरंत प्रशासन की टीम के संपर्क में रहें और राहत कार्य में सहयोग करें।
जिला प्रशासन की इस तैयारी से बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों में राहत की उम्मीद जगी है। प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि बाढ़ के दौरान खतरे वाले स्थानों पर जाने से बचें और किसी भी स्थिति में नाविकों एवं प्रशासनिक टीम से संपर्क बनाकर रखें, ताकि समय पर सहायता पहुंचाई जा सके।
इस बीच, जिले में गंगा और कोसी नदी के जलस्तर पर भी निगरानी रखी जा रही है और जलस्तर बढ़ने की स्थिति में प्रभावित क्षेत्रों में नावों की संख्या और राहत सामग्री की आपूर्ति को और बढ़ाने की योजना तैयार कर ली गई है।
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