बिहार के सीतामढ़ी जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक दुकानदार ने चोरी के आरोप में पांच मासूम बच्चों को तालिबानी सजा दी, जिसे सुनकर हर कोई सन्न है। यह घटना मेजरगंज थाना क्षेत्र के मलाही गांव की है, जहां गुरुवार दोपहर एक दुकानदार ने बच्चों को चॉकलेट और चिप्स चुराने के शक में उन्हें न केवल निर्वस्त्र किया, बल्कि जूतों और चप्पलों की माला पहनाकर गांव में घुमाया। यही नहीं, बच्चों के चेहरे पर चूना भी पोत दिया गया, जिससे वे पूरी तरह अपमानित महसूस करें। इस पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पूरे राज्य में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
**बचपन की गरिमा को कुचला गया**
जानकारी के अनुसार, यह घटना तब हुई जब पांचों बच्चे, जिनकी उम्र महज 10 से 14 साल के बीच बताई जा रही है, कथित तौर पर गांव की एक दुकान से चॉकलेट और चिप्स उठा रहे थे। दुकानदार ने दावा किया कि यह कोई पहली बार नहीं था, बल्कि कई बार इन बच्चों को चोरी करते हुए पकड़ा गया था। गुरुवार को जब उसने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया, तो उसने पुलिस या बच्चों के अभिभावकों को सूचना देने के बजाय अपने तरीके से ‘सजा’ देने का फैसला किया।

उसने बच्चों को कपड़े उतरवाने के लिए मजबूर किया, उनके चेहरे पर सफेद चूने का पाउडर पोता, और फिर उन्हें चप्पलों की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया। इस दौरान न केवल बच्चों की गरिमा को रौंदा गया, बल्कि उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित कर मानसिक प्रताड़ना दी गई।
**वीडियो वायरल, लोगों में उबाल**
घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, वैसे ही लोग आगबबूला हो गए। खासकर बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों और बाल कल्याण आयोग ने इस पर कड़ा संज्ञान लिया है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि पांचों बच्चे भयभीत हैं, सिर झुकाए खड़े हैं, जबकि दुकानदार और कुछ अन्य लोग उन्हें घुमा रहे हैं और मजाक बना रहे हैं।
लोगों का कहना है कि नाबालिग बच्चों से ऐसी क्रूरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती। वीडियो सामने आने के बाद आम जनता, समाजसेवी और राजनीतिक प्रतिनिधियों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया पर #JusticeForChildren ट्रेंड कर रहा है और दुकानदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है।
**प्रशासन की प्रतिक्रिया**
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने भी त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। मेजरगंज थाना प्रभारी ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि गुरुवार को दोपहर 3 बजे उन्हें घटना की सूचना मिली थी। वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है और दुकानदार की पहचान कर उसे हिरासत में लिया गया है।
उन्होंने कहा, “हमने प्राथमिक जांच शुरू कर दी है। बच्चों की पहचान हो गई है और उनके परिवार से भी संपर्क किया जा रहा है। वीडियो में दिख रहे दृश्य अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। आरोपी दुकानदार पर किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत और IPC की अन्य धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा।”
**कानूनी पहलुओं पर क्या कहता है कानून**
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत किसी भी नाबालिग के साथ सार्वजनिक अपमान, शारीरिक दंड या किसी भी प्रकार की मानसिक प्रताड़ना करना कानूनन अपराध है। ऐसे मामलों में न केवल आरोपी को सजा मिल सकती है, बल्कि पीड़ित बच्चों को मानसिक और भावनात्मक सहायता प्रदान करने का भी प्रावधान है।
इस घटना में दुकानदार पर IPC की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 354 (नाबालिगों की गरिमा को ठेस पहुंचाना), और किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
**बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की मांग**
घटना के बाद बाल संरक्षण संगठनों ने मांग की है कि बच्चों की मानसिक स्थिति का आकलन किया जाए और उन्हें उचित परामर्श और संरक्षण दिया जाए। साथ ही आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति कानून हाथ में लेने की हिम्मत न करे।
बाल अधिकार कार्यकर्ता नीलम रानी कहती हैं, “यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए आईना है। बच्चों से गलतियां हो सकती हैं, लेकिन उन्हें सुधारने के लिए कानून और संवेदनशीलता जरूरी है, न कि इस तरह की बर्बरता।”
**निष्कर्ष**
यह घटना हमारे समाज की उस कड़वी सच्चाई को उजागर करती है, जहां बच्चों की मासूमियत को सजा का हथियार बना दिया जाता है। ऐसी घटनाएं न केवल कानून की अवहेलना हैं, बल्कि इंसानियत पर भी सवाल खड़ा करती हैं। जरूरी है कि हम अपने समाज में बच्चों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाएं और उन्हें डर या शर्म से नहीं, बल्कि प्यार और समझदारी से सही राह दिखाएं।
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