फरक्का बराज के सभी गेट खोल देने का सकारात्मक असर अब बिहार के विभिन्न जिलों, खासकर भागलपुर में साफ नजर आ रहा है। भागलपुर के डाउन स्ट्रीम में गंगा और कोसी नदियों का संगम कुरसेला में होता है, जिससे इस क्षेत्र में जलस्तर पर गहरा असर पड़ता है। पिछले 24 घंटे के भीतर गंगा नदी के जलस्तर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है, जिससे बाढ़ का खतरा फिलहाल टलता नजर आ रहा है। हालांकि कोसी नदी का रुख अब भी थोड़ी चिंता का कारण बना हुआ है।

गंगा शांत, कोसी बरकरार
नवगछिया क्षेत्र में कोसी नदी के जलस्तर में हल्की वृद्धि दर्ज की गई है। चोरहर में जलस्तर में 5 सेमी की वृद्धि देखी गई, जबकि कुरसेला में गंगा के जलस्तर में 14 सेमी की कमी आई है। नवगछिया के मदरौनी में 3 सेमी की गिरावट दर्ज हुई। बाढ़ नियंत्रण कक्ष की रिपोर्ट के अनुसार, सुल्तानगंज और इस्माईलपुर बिंदटोली में 36 सेमी, भागलपुर में 25 सेमी, कहलगांव में 12 सेमी और राघोपुर में 20 सेमी की गिरावट दर्ज की गई है। फिर भी सुल्तानगंज, कहलगांव और इस्माईलपुर बिंदटोली जैसे इलाकों में जलस्तर अब भी खतरे के निशान से ऊपर है।
कोसी नदी की इस वृद्धि का कारण नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही भारी बारिश है, जिससे वीरपुर बराज से छोड़े गए पानी का असर नवगछिया में देखा जा रहा है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता गौतम कुमार के अनुसार, कोसी का जलस्तर स्थिर है और फिलहाल कोई बड़ा खतरा नहीं है। सभी तटबंध सुरक्षित हैं और अभियंताओं की नियमित पेट्रोलिंग जारी है।
गंगा में कटाव बना सिरदर्द
हालांकि गंगा का जलस्तर कम हुआ है, लेकिन इससे कटाव की समस्या और भी गंभीर हो गई है। सबौर के चांयचक, कालीघाट और ममलखा क्षेत्रों में कटाव ने लोगों की नींद उड़ा दी है। बीते दो दिनों में यहां 200 फीट से अधिक की पीसीसी सड़क, हनुमान मंदिर, बिजली के खंभे, विशाल पीपल के पेड़ और करीब 10 एकड़ से अधिक भूमि गंगा में समा चुकी है।
मसाढू क्षेत्र में कटाव का खतरा कम हुआ है, लेकिन चांयचक में जल संसाधन विभाग द्वारा 500 मीटर लंबा कटाव निरोधक कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। बालू भरी बोरियों, तार की जालियों और करीब 400 मजदूरों की मेहनत से इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।
ममलखा में खतरा बढ़ा, रतजगा कर रहे ग्रामीण
ममलखा में तेज हवा और नीचे से हो रहे कटाव ने ग्रामीणों को चिंतित कर दिया है। मिट्टी के चट्टानों के रूप में नदी में गिरने की घटनाएं भय का माहौल बना रही हैं। बाबूपुर, रजंदीपुर, संत नगर और घोषपुर इलाकों में कटाव के साथ जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ममलखा की मुखिया कल्याणी देवी ने बताया कि सड़क कट चुकी है और युद्धस्तर पर काम न होने से हालात और खराब हो सकते हैं।
बांस और तार की जालियों में सैंड बैग डालकर कटाव रोकने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह टिकाऊ नहीं दिख रहा। यहां बोल्डर गिराने की जरूरत है ताकि कटाव पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके। खेत-बगिचे जलसमाधि ले चुके हैं और लोग रतजगा करने को मजबूर हैं। मुखिया और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि एसडीआरएफ की टीमों को प्रभावित गांवों में तैनात किया जाए।
प्रयास जारी: सरकार सतर्क
एसडीओ जल संसाधन विभाग, राजीव रंजन ने कहा कि चांयचक में गंगा कटाव निरोधक कार्य जारी है और कटाव फिलहाल स्थिर है। हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं ताकि किसी भी आपदा से पहले सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा सकें। हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है और आवश्यकता पड़ने पर त्वरित कार्रवाई के लिए टीमें तैयार हैं।
निष्कर्ष
फरक्का बराज से गेट खुलने के बाद गंगा के जलस्तर में आई कमी राहत की खबर है, लेकिन कोसी की स्थिति और गंगा के कटाव से उत्पन्न खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जरूरत है कि राहत और बचाव कार्य समय रहते तेज किए जाएं ताकि किसी बड़े नुकसान से बचा जा सके।
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