गया (बिहार), 6 जून – बिहार के गयाजी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक दिवसीय दौरे से पहले बनी अस्थायी वीआईपी शौचालय की व्यवस्था इन दिनों चर्चा का विषय बन गई है। राहुल गांधी शनिवार को प्रसिद्ध ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी के गांव गहलौर पहुंचे थे, जहां उन्होंने मांझी के परिवार से मुलाकात की। यह दौरा जहां दलित समुदाय को साधने की कांग्रेस की रणनीति माना जा रहा है, वहीं प्रशासनिक तैयारियों और वीआईपी संस्कृति की असलियत भी उजागर हो गई है।

मांझी के घर से उखाड़ा गया VIP टॉयलेट
मांझी के घर से उखाड़ा गया VIP टॉयलेट

राहुल गांधी के आने से पहले रातोंरात बना वीआईपी शौचालय

जिला प्रशासन ने राहुल गांधी के दौरे से ठीक पहले गहलौर गांव में विशेष तैयारियां कीं। इनमें सबसे ज्यादा ध्यान एक आलीशान वीआईपी शौचालय पर गया, जो दशरथ मांझी के घर के पास लगाया गया था। यह शौचालय अस्थायी था और राहुल गांधी के वहां से रवाना होते ही प्रशासन के कर्मचारी उसके पार्ट्स खोलकर साथ ले गए।

बनाया गया VIP टॉयलेट
बनाया गया VIP टॉयलेट

मांझी परिवार का आरोप – “नेता आते हैं, विकास दिखता है, फिर सब गायब”

दशरथ मांझी की पोती अंशु कुमारी ने बताया कि उनके परिवार को 2015 में एक शौचालय आवंटित किया गया था, लेकिन कुछ समय बाद उसे तोड़कर उस स्थान पर सड़क बना दी गई। पिछले 10 वर्षों से उनके पास कोई स्थायी शौचालय नहीं है। उन्होंने कहा,
“नेता आते हैं तो हमारे घर के सामने विकास की तस्वीर बदल जाती है। जैसे ही वो चले जाते हैं, वही पुरानी बदहाल स्थिति लौट आती है।”

परिवार का कहना है कि दशरथ मांझी जैसे महापुरुष, जिन्होंने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया, उनके परिवार को आज भी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिली हैं।

दशरथ मांझी के घर से शौचालय गायब
दशरथ मांझी के घर से शौचालय गायब

राहुल गांधी से मुलाकात – राजनीति और प्रतीकवाद दोनों

राहुल गांधी ने अपने गयाजी और नालंदा दौरे के दौरान गहलौर गांव जाकर मांझी परिवार से मिलकर सामाजिक न्याय और समानता का संदेश देने की कोशिश की। यह यात्रा कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो’ और सामाजिक न्याय की मुहिम के तहत की गई थी। इस दौरान दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी ने राहुल गांधी से बोधगया सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। राहुल ने उन्हें उचित सहयोग का आश्वासन भी दिया।

दशरथ मांझी के घर राहुल गांधी
दशरथ मांझी के घर राहुल गांधी

बिहार कांग्रेस का आरोप – “शौचालय तक नहीं दे पाई सरकार”

बिहार कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष उमेर खान ने इसे बेहद शर्मनाक बताते हुए कहा कि
“दशरथ मांझी जैसे प्रेरणादायक व्यक्ति के परिवार को आज तक एक शौचालय भी न मिलना, राज्य सरकार की असफलता का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी आम लोगों के हक और अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन राज्य की सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है।


प्रशासन का बचाव – “वीआईपी प्रोटोकॉल के तहत हुआ निर्माण”

गया के जिलाधिकारी सुशांत शुभंकर ने शौचालय मामले पर सफाई देते हुए कहा कि वीआईपी मूवमेंट के दौरान कुछ अस्थाई सुविधाएं प्रोटोकॉल के तहत दी जाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मांझी परिवार को यदि शौचालय का लाभ नहीं मिला है तो उसकी जांच कराकर जल्द निर्माण सुनिश्चित किया जाएगा।

“वीआईपी शौचालय अस्थायी था, और प्रोटोकॉल का हिस्सा था। जहां तक परिवार को लाभ नहीं मिलने की बात है, उसकी जांच होगी।”
– सुशांत शुभंकर, डीएम, गया

गौरतलब है कि डीएम सुशांत शुभंकर ने हाल ही में गया जिले का कार्यभार संभाला है।

परिजनों से मिले राहुल गांधी
परिजनों से मिले राहुल गांधी

वीआईपी संस्कृति पर सवाल, आम लोगों को अब भी इंतजार

इस घटना ने एक बार फिर वीआईपी संस्कृति और प्रतीकात्मक राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस दशरथ मांझी को देश भर में उनके संघर्ष के लिए जाना जाता है, उनके परिवार की स्थिति आज भी प्रशासनिक उपेक्षा की गवाह है। हर बार चुनाव से पहले या किसी बड़े नेता के दौरे पर थोड़ी देर के लिए विकास की झलक दिखाई जाती है, लेकिन उसके बाद वही उपेक्षा और बदहाली लौट आती है।

माउंटेन मैन दशरथ मांझी को किया नमन
माउंटेन मैन दशरथ मांझी को किया नमन

निष्कर्ष – एक प्रतीक पुरुष का उपेक्षित परिवार

दशरथ मांझी ने समाज के लिए जो किया, वह इतिहास बन गया। लेकिन उनका परिवार आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। वीआईपी दौरे के लिए अस्थायी शौचालय बनाना और उसे हटाकर ले जाना यह दिखाता है कि सरकारी व्यवस्था आम लोगों की भलाई के लिए नहीं, बल्कि नेताओं की सुविधा के लिए चल रही है। यह सिर्फ एक शौचालय की कहानी नहीं है, बल्कि उस सोच की कहानी है जो सिर्फ दिखावे में यकीन रखती है।

 

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