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भागलपुर जिले के नाथनगर स्थित एसएस बालिका उच्च विद्यालय में रविवार को आयोजित बीएससी नर्सिंग की प्रवेश परीक्षा उस समय विवादों में घिर गई जब चार परीक्षार्थियों को महज तीन मिनट की देरी की वजह से परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं दिया गया। ये सभी परीक्षार्थी मुंगेर और आसपास के जिलों से आए थे। परीक्षा सुबह 8:30 बजे से शुरू होनी थी, लेकिन ये छात्र-छात्राएं लगभग 8:33 बजे केंद्र पर पहुंचे। निर्धारित समय समाप्त हो जाने के कारण केंद्र पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें प्रवेश से रोक दिया।

इसके बाद परीक्षार्थियों के परिजन भड़क उठे और केंद्र परिसर में हंगामा शुरू कर दिया। आक्रोशित परिजनों ने स्कूल की दीवार फांदने की कोशिश की और परीक्षा केंद्र में जबरन घुसने का प्रयास किया। इस दौरान माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया और करीब 25 मिनट तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।

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हंगामे की जानकारी मिलते ही मौके पर तैनात मजिस्ट्रेट और पुलिस बल ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। परिजनों और सुरक्षा कर्मियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। मुंगेर के जमालपुर से अपनी बहन को परीक्षा दिलाने आए जितेंद्र ने कहा, “हम केवल तीन मिनट लेट पहुंचे थे। हमने कई बार हाथ जोड़कर गेट खोलने की अपील की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। जब हमने विरोध करना शुरू किया, तो पुलिस ने गाली-गलौज शुरू कर दी। क्या हम कोई अपराधी हैं, जो हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है? अगर हमसे गलती हुई है, तो हमें जेल भेज दें, लेकिन इस तरह अपमानित न करें।”

जितेंद्र के अनुसार, केंद्र में परीक्षा देने आई उनकी बहन सहित चार छात्राओं को जब प्रवेश नहीं दिया गया तो कई अभिभावक भावुक होकर रोने लगे। कुछ ने प्रशासन पर भेदभाव और असंवेदनशीलता का आरोप लगाया।

स्थिति को और बिगड़ता देख मजिस्ट्रेट ने तत्काल परीक्षा केंद्र के अधिकारियों से बातचीत की और पूरे मामले की समीक्षा की। इसके बाद उच्च स्तर पर निर्णय लिया गया कि इन चारों अभ्यर्थियों को विशेष परिस्थिति को देखते हुए परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए।

करीब 9 बजे सभी चारों अभ्यर्थियों को परीक्षा हॉल में प्रवेश दिया गया, जिसके बाद परीक्षा शांतिपूर्वक संपन्न हुई। प्रशासन ने आश्वासन दिया कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए परीक्षा केंद्रों पर समय प्रबंधन और अभ्यर्थियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश पहले ही दिए जाएंगे।

स्थानीय लोगों और अभिभावकों का मानना है कि परीक्षा जैसे गंभीर मामलों में नियमों के पालन के साथ-साथ मानवीय दृष्टिकोण भी जरूरी होता है। महज कुछ मिनट की देरी पर अभ्यर्थियों को रोकना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। हालांकि, प्रशासन का तर्क है कि सख्त नियमों का पालन परीक्षा की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

फिलहाल, परीक्षा शांतिपूर्वक जारी है और स्थिति पूरी तरह सामान्य है। पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी अब भी परीक्षा केंद्र के बाहर बनी हुई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।

यह घटना एक बार फिर से परीक्षा प्रणाली में लचीलापन बनाम अनुशासन के बीच संतुलन की बहस को जन्म दे गई है।

 

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