पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम उठाते हुए जीवन जागृति सोसायटी ने आज एक बार फिर अपना संकल्प दोहराया – “कम ही पौधे लगाएंगे, उसको वृक्ष बनाकर दिखाएंगे”। इसी उद्देश्य को लेकर सोसायटी ने राधा रानी सिंहा रोड स्थित लेबर सुपरिटेंडेंट कार्यालय परिसर में विभिन्न प्रजातियों के कुल **40 पौधे** लगाए।
इस पौधारोपण कार्यक्रम में **सागवान, आम, जामुन, कटहल और अशोक** जैसे बहुउपयोगी और छायादार पौधों को चुना गया। संस्था के सदस्यों के साथ-साथ क्षेत्रीय लोगों ने भी इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
सोसायटी के **अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिंह** ने बताया कि उनकी संस्था का उद्देश्य केवल पौधे लगाना नहीं, बल्कि उन्हें संरक्षित कर वृक्ष बनाना है। डॉ. सिंह ने कहा, “*हम संख्या की बजाय गुणवत्ता पर जोर देते हैं। हर लगाए गए पौधे की देखरेख के लिए टीम गठित की जाती है, जो नियमित रूप से पानी देने, खाद डालने और उनकी रक्षा का कार्य करती है।*” उन्होंने यह भी बताया कि जब तक पौधे पूर्ण रूप से विकसित वृक्ष नहीं बन जाते, तब तक संस्था की निगरानी जारी रहती है।
कार्यक्रम में **संस्था की संरक्षिका व प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा झा** तथा **नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत परसरामपुरिया** ने अपने हाथों से पौधे लगाकर लोगों को प्रेरणा दी। इस दौरान **महिला प्रकोष्ठ की कोषाध्यक्ष आभा पाठक**, **सचिव सोमेश**, **एडवोकेट अभिषेक**, **उमेश रजक**, **नीरज मंडल** समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
डॉ. रेखा झा ने इस आयोजन की सफलता के लिए **डिप्टी लेबर सुपरिटेंडेंट श्री सुधांशु जी** और **असिस्टेंट लेबर सुपरिटेंडेंट** का विशेष धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण की अनुमति प्रदान करने और कार्यक्रम में सहयोग देने के लिए कार्यालय के समस्त कर्मचारियों का योगदान सराहनीय है।
कार्यक्रम में **प्रणव दास**, **मृत्युंजय**, **अखिलेश यादव**, **रूपांगी रूपसी** सहित अन्य युवाओं ने भी उत्साहपूर्वक योगदान दिया, जिससे इस आयोजन को और भी सफल और प्रेरणादायक रूप मिला।
अंत में **अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह** ने **वन विभाग** का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस पुनीत कार्य के लिए निःशुल्क पौधे उपलब्ध कराए।
जीवन जागृति सोसायटी का यह प्रयास न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय है, बल्कि समाज के सामने एक आदर्श भी प्रस्तुत करता है कि *कम पौधे लगाएं, पर उन्हें पेड़ अवश्य बनाएं*। इस जागरूकता से ही हरियाली बढ़ेगी और आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध पर्यावरण की सौगात मिलेगी।
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