बिहार के पूर्णिया जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां पुलिस की डायल 112 वैन और ईंटों से लदे ट्रैक्टर के बीच टक्कर हो गई। यह हादसा मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बेलौरी-सनौली मुख्य मार्ग पर हुआ। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि पुलिसकर्मियों समेत चार लोग घायल हो गए। लेकिन हादसे के बाद जो कुछ हुआ, उसने पूरे इलाके में तनाव फैला दिया।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह टक्कर पुलिस की अवैध वसूली की वजह से हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, डायल 112 की पुलिस वैन सड़क किनारे खड़ी थी और वहां मौजूद पुलिसकर्मी भारी वाहनों से जबरन पैसे वसूल रहे थे। इसी दौरान ईंट से लदा एक ट्रैक्टर वहां पहुंचा और वसूली के दौरान नियंत्रण खो बैठा, जिससे वैन से जोरदार टक्कर हो गई।
हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों को घेर लिया और उनकी जमकर पिटाई कर दी। इसके साथ ही पुलिस की वैन पर ईंट-पत्थरों से हमला कर उसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। घटना के बाद इलाके में भारी तनाव व्याप्त हो गया और देखते ही देखते वहां लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई।
ग्रामीणों का आरोप:
स्थानीय लोगों ने स्पष्ट आरोप लगाया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। बेलौरी-सनौली मार्ग पर अक्सर पुलिसकर्मी थाना की गाड़ी लगाकर ट्रकों और अन्य भारी वाहनों से अवैध वसूली करते हैं। लोगों का कहना है कि जब यह ट्रैक्टर वहां से गुजर रहा था, तो पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की, इसी दौरान टक्कर हो गई।

पुलिस की प्रतिक्रिया:
मुफस्सिल थाना प्रभारी उत्तम कुमार ने मामले पर बयान देते हुए कहा कि अगर किसी को पुलिस द्वारा की जा रही अवैध वसूली की जानकारी थी तो उन्हें इसकी शिकायत थाने में करनी चाहिए थी, न कि कानून को अपने हाथ में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि गाड़ी को क्षतिग्रस्त करने वाले और पुलिसकर्मियों पर हमला करने वाले लोगों की पहचान की जा रही है। मौके पर मौजूद लोगों के वीडियो और फोटो को खंगाला जा रहा है, ताकि दोषियों की पहचान कर उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सके।

एसपी का सख्त रुख:
इस घटना से ठीक पहले पूर्णिया के आरक्षी अधीक्षक (एसपी) कार्तिकेय शर्मा ने अवैध वसूली को लेकर एक बड़ी कार्रवाई की थी। उन्होंने गुलाबबाग टीओपी के थाना प्रभारी को अवैध वसूली के आरोप में निलंबित कर दिया था। इसके बावजूद बेलौरी-सनौली मार्ग पर इसी तरह की घटना सामने आना, पूरे पुलिस महकमे की छवि पर सवाल खड़े कर रहा है।
प्रशासन की चुनौतियाँ:
इस घटना ने प्रशासन के लिए दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है। एक ओर पुलिसकर्मी अगर अवैध वसूली में लिप्त हैं, तो यह बेहद गंभीर मामला है। वहीं दूसरी ओर, आम लोगों द्वारा कानून को हाथ में लेना और पुलिस पर हमला करना, खुद में अपराध है। इस वजह से अब पुलिस को दोनों ही पक्षों पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी।
स्थानीय माहौल तनावपूर्ण:
घटना के बाद से क्षेत्र में तनाव का माहौल है। ग्रामीणों में पुलिस के खिलाफ भारी नाराजगी है। वहीं पुलिस प्रशासन मामले को शांत करने और दोषियों की पहचान करने में जुट गया है। कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है, जबकि घटनास्थल के आसपास की निगरानी बढ़ा दी गई है।
निष्कर्ष:
पूर्णिया की यह घटना राज्य में पुलिस और जनता के रिश्ते को लेकर एक बार फिर गंभीर बहस छेड़ रही है। जहां पुलिसकर्मियों का अवैध वसूली में लिप्त होना प्रशासनिक विफलता की ओर इशारा करता है, वहीं आम जनता द्वारा पुलिस पर हमला करना, भीड़तंत्र की मानसिकता को दर्शाता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी निष्पक्षता और सख्ती से कार्रवाई करता है।
अपना बिहार झारखंड पर और भी खबरें देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
सहरसा किलकारी बाल भवन में 3 से 22 जून तक रचनात्मक छुट्टियों का आयोजन