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भागलपुर जिले के खरीक थाना क्षेत्र में बीते 18 जून को एनएच 31 किनारे तुलसीपुर बहियार से बरामद हुई महिला के शव मामले में पुलिस की लापरवाही को लेकर लोगों का आक्रोश दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। मृतका की पहचान खरीक क्षेत्र के एक गरीब अति पिछड़ा समाज की महिला के रूप में हुई थी, जो बगीचे में आम चुनने गई थी, जहां उसकी हत्या कर शव को बहियार में फेंक दिया गया।

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इस घटना को लेकर पुलिस पर आरोपियों की गिरफ्तारी में लापरवाही बरतने और अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को युवा नेता अजय रविदास के नेतृत्व में ग्रामीणों और मृतका के परिजनों ने खरीक थाना पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान लोगों ने ‘पुलिस-अपराधियों की गठजोड़ नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाते हुए खरीक थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर नरेश कुमार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने थाना के मुख्य द्वार पर बैठकर पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और निष्पक्ष जांच व त्वरित कार्रवाई की मांग की।

युवा नेता अजय रविदास ने कहा कि गरीब अति पिछड़ा समाज की महिला की सिर्फ बगीचे में आम चुनने के कारण निर्मम हत्या कर दी गई। लेकिन खरीक पुलिस इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रही है। आरोपियों की गिरफ्तारी में पुलिस की निष्क्रियता से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पुलिस अपराधियों को संरक्षण दे रही है। अजय रविदास ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गई तो इससे भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले चरण में एनएच 31 को जाम किया जाएगा और खरीक बाजार को पूरी तरह से बंद कर विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा।

विरोध कर रहे ग्रामीणों और मृतका के परिजनों ने प्रशासन से पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी मांग की। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक दोषियों की गिरफ्तारी नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

उधर, खरीक थानाध्यक्ष नरेश कुमार ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि, लोगों का आक्रोश इस बात को लेकर बना हुआ है कि घटना के इतने दिनों बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं, जिससे इलाके में असुरक्षा का माहौल है।

इस हत्याकांड को लेकर खरीक क्षेत्र में आक्रोश लगातार बढ़ रहा है और लोग जल्द न्याय की मांग कर रहे हैं। वहीं, पुलिस के प्रति बढ़ते अविश्वास को देखते हुए प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है।

 

 

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