पटना: बिहार के चर्चित यूट्यूबर और बीजेपी नेता मनीष कश्यप के साथ 19 मई को पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (PMCH) में कथित रूप से मारपीट की घटना सामने आई थी। इस घटना को लेकर अब 10 दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई है। मनीष कश्यप के करीबी सहयोगी मोहन तिवारी ने पटना के पीरबहोर थाने में अज्ञात डॉक्टरों और अस्पताल कर्मचारियों के खिलाफ लिखित शिकायत दी, जिसके आधार पर मामला दर्ज किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
मनीष कश्यप 19 मई को किसी मरीज की सहायता के लिए पीएमसीएच पहुंचे थे। इस दौरान अस्पताल के कुछ कर्मचारियों और डॉक्टरों के साथ उनका विवाद हो गया। आरोप है कि बहस बढ़ते-बढ़ते इतनी गंभीर हो गई कि अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों ने उन्हें बुरी तरह पीट दिया। मनीष का कहना है कि उन्हें एक कमरे में तीन घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया, उनके मोबाइल फोन छीन लिए गए और सादे कागज पर जबरन दस्तखत भी करवाए गए।
घटना के बाद मनीष कश्यप ने सोशल मीडिया के जरिए इस पूरे प्रकरण की जानकारी दी थी और अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि उन्हें धमकाया गया और उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं था।

एफआईआर में क्या कहा गया है?
यूट्यूबर मनीष कश्यप के सहयोगी मोहन तिवारी ने 29 मई को पीरबहोर थाने में एक लिखित शिकायत दी थी। इस शिकायत के आधार पर अब मामला दर्ज कर लिया गया है। एफआईआर में अज्ञात डॉक्टरों और पीएमसीएच के कर्मचारियों पर शारीरिक प्रताड़ना, धमकी देने और जबरदस्ती दस्तखत लेने का आरोप लगाया गया है। मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें धमकी देना, बंधक बनाना, और शारीरिक हमला शामिल हैं।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
हालांकि पीएमसीएच प्रशासन ने इस पूरे मामले में अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन अस्पताल से जुड़े कुछ सूत्रों का कहना है कि यह मामला जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, मनीष कश्यप ने अस्पताल में माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी और इसी कारण उन्हें रोका गया। हालांकि इन दावों की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हो पाई है।

पुलिस ने शुरू की जांच
एफआईआर दर्ज होने के बाद अब पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। पीरबहोर थाने के थाना प्रभारी अब्दुल हलीम ने बताया कि जल्द ही अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाएगी। इसके साथ ही जिन डॉक्टरों और कर्मचारियों पर आरोप हैं, उनसे पूछताछ भी की जाएगी। अब्दुल हलीम ने कहा कि यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिकायत चार दिन पहले दी गई थी, लेकिन अब एफआईआर दर्ज की गई है और जांच की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पुलिस का कहना है कि किसी भी पक्ष के साथ अन्याय नहीं होगा और निष्पक्ष जांच की जाएगी।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
घटना के बाद मनीष कश्यप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके इस पूरे मामले को लोगों के सामने लाया था। उनके समर्थकों ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। वहीं, सोशल मीडिया पर दो धड़े बन गए हैं — एक पक्ष मनीष कश्यप का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा पक्ष अस्पताल की कार्रवाई को सही ठहरा रहा है।
निष्कर्ष
इस घटना ने बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और अस्पतालों में कानून-व्यवस्था को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां एक ओर मनीष कश्यप जैसे लोकप्रिय चेहरों के साथ हुई घटना पर लोग सवाल उठा रहे हैं, वहीं अस्पताल प्रशासन की चुप्पी भी कई संदेहों को जन्म दे रही है। अब सभी की निगाहें पुलिस जांच पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि मनीष कश्यप के आरोपों में कितनी सच्चाई है और कौन जिम्मेदार है।
यह मामला केवल एक यूट्यूबर के साथ मारपीट का नहीं, बल्कि सार्वजनिक संस्थानों में आम जनता के साथ हो रहे व्यवहार पर भी सवाल उठाता है। अब देखना यह है कि जांच के बाद सच सामने आता है या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह समय के गर्त में चला जाएगा।
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