गांधीनगर: अहमदाबाद से लंदन जा रहे एयर इंडिया के विमान हादसे ने पूरे देश को गहरे शोक में डाल दिया है। इस विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत कई गणमान्य नागरिक, 230 यात्री, 2 पायलट और 10 क्रू मेंबर शामिल थे। विमान टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लेकिन इस हादसे से ठीक पहले पायलट ने एक आखिरी कोशिश की थी—एक इमरजेंसी ‘मेडे कॉल’।
क्या होता है ‘मेडे कॉल’?
मेडे कॉल एक अत्यंत आपातकालीन सिग्नल होता है, जिसका उपयोग पायलट संकट की स्थिति में करता है। पायलट ने विमान के नियंत्रण कक्ष यानी एयर ट्रैफिक सर्विस (ATS) को कॉल कर एक स्पष्ट संकेत दिया कि विमान किसी गंभीर तकनीकी या यांत्रिक परेशानी में है। इसके बाद एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) ने विमान से संपर्क करने की कई कोशिशें कीं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
इस कॉल का नाम ‘मेडे’ (Mayday) होता है। इसे तीन बार दोहराकर बोला जाता है – “Mayday, Mayday, Mayday” – ताकि संदेश गंभीरता से लिया जाए और उसे कोई मजाक न समझे। इसका मतलब होता है कि विमान संकट में है और उसे तुरंत सहायता की आवश्यकता है।
मेडे कॉल की शुरुआत और महत्व
‘मेडे’ शब्द की उत्पत्ति 1921 में हुई थी। इसे पहली बार लंदन के रेडियो ऑफिसर फ्रेडरिक स्टेनली मॉकफोर्ड ने इस्तेमाल किया था। उनसे ऐसा शब्द सुझाने को कहा गया था जिसे रेडियो पर इमरजेंसी में आसानी से बोला और समझा जा सके। उन्होंने फ्रेंच शब्द “m’aidez” (मेरी मदद करो) से ‘Mayday’ शब्द को चुना, जिसका उच्चारण भी सरल है और संदेश भी स्पष्ट।
मेडे कॉल केवल विमान संकट के लिए ही नहीं, बल्कि जहाजों, पुलिस ऑपरेशन, आग लगने जैसी अन्य आपात स्थितियों में भी किया जाता है।
विमान ने उड़ान भरते ही दी थी चेतावनी
एयर इंडिया का यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट के रनवे नंबर 23 से गुरुवार दोपहर 1:30 बजे रवाना हुआ था। टेकऑफ के ठीक 1 मिनट बाद, जब विमान करीब 400 फीट की ऊंचाई पर था, तभी पायलट ने मेडे कॉल जारी की। उस समय विमान का फ्यूल टैंक पूरी तरह भरा हुआ था, जिससे विस्फोट की संभावना और बढ़ गई थी। एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने तुरंत अलर्ट जारी किया, लेकिन उसके एक मिनट बाद ही 1:39 बजे विमान का संपर्क पूरी तरह टूट गया और वह क्रैश हो गया।
संभावित कारण और तकनीकी संकेत
विशेषज्ञों का मानना है कि पायलट द्वारा मेडे कॉल दिया जाना यह दर्शाता है कि वह समस्या को पहचान चुका था और मदद मांग रहा था। प्रारंभिक जांच में लैंडिंग गियर के सही से बंद न होने, या इंजन फेलियर, या किसी बर्ड हिट की आशंका जताई जा रही है। पायलट ने अंतिम समय में एटीएस को यह कॉल कर एक संकेत दे दिया था कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी विमान में थे
इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी विमान में सवार थे। उनके परिवार से संपर्क करने की कोशिशें की जा रही हैं। हालांकि अभी उनकी स्थिति को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। हादसे की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार और DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं।
समाप्ति: पायलट की बहादुरी और प्रणाली की परीक्षा
इस पूरे हादसे में पायलट की अंतिम क्षणों में की गई कार्रवाई ने यह दिखा दिया कि उसने 242 जिंदगियों की रक्षा के लिए अंतिम प्रयास किया था। हालांकि विमान को बचाया नहीं जा सका, लेकिन उस मेडे कॉल ने सिस्टम को सक्रिय किया और रिकॉर्ड में वह आखिरी बहादुरी दर्ज हो गई।
विमान हादसों में पायलट की तत्परता, कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल, और एविएशन सिस्टम की जवाबदेही की यह घटना एक बार फिर समीक्षा की मांग करती है। ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद हादसे के असली कारणों का खुलासा हो सकेगा।
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