बिहार एनडीए में सीट बंटवारे के बाद घटक दलों की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। एक ओर जहां हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री **जीतनराम मांझी** तथा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के नेता **उपेंद्र कुशवाहा** कम सीट मिलने से असंतुष्ट हैं, वहीं मुख्यमंत्री **नीतीश कुमार** भी एनडीए के अंदर के फैसलों से नाराज बताए जा रहे हैं।
इसी बीच मांझी ने बड़ा बयान देकर एनडीए में हलचल मचा दी है। उन्होंने न केवल नीतीश कुमार के रुख का समर्थन किया है बल्कि साफ कहा है कि वह भी **चिराग पासवान** के कोटे की दो सीटों—**बोधगया** और **मखदुमपुर**—पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे।

भागलपुर में मीडिया से बात करते हुए जीतनराम मांझी ने कहा कि “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गुस्सा बिल्कुल जायज है। जब गठबंधन में फैसला हो चुका है, तब कोई दूसरी पार्टी कैसे किसी और सीट पर सिंबल दे सकती है?”
उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार यह सवाल उठा रहे हैं कि जेडीयू की सीट पर कोई और पार्टी प्रत्याशी क्यों दे रही है, तो यह सवाल बिल्कुल सही है।
मांझी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के इस कदम से पूरी तरह सहमत हैं और “हम भी दो सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने जा रहे हैं।”

मांझी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी पार्टी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सिद्धांतों और गठबंधन की मर्यादा बनाए रखने के लिए यह कदम उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार जी से सहमत होते हुए हम भी बोधगया से जो सीट किसी दूसरे को दी गई है और मखदुमपुर से जो सीट दी गई है, उन दोनों जगहों पर अपने प्रत्याशी को सिंबल देंगे। किसी का नाम नहीं जानते हैं, लेकिन दो जगहों से अपना उम्मीदवार उतारेंगे।”

राजनीतिक सूत्रों की मानें तो मांझी का यह बयान सीधे तौर पर **चिराग पासवान** की पार्टी **लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)** की ओर इशारा करता है।
बिहार एनडीए में सीट बंटवारे के अनुसार बीजेपी और जेडीयू को **101-101 सीटें**, जबकि **चिराग पासवान को 29 सीटें** दी गई हैं।
वहीं **जीतनराम मांझी** और **उपेंद्र कुशवाहा** की पार्टियों को **6-6 सीटें** मिली हैं।
कम सीटें मिलने से दोनों नेता नाराज हैं और अब उनके बयान एनडीए में नई राजनीतिक स्थिति पैदा कर रहे हैं।

**बोधगया सीट पर बीजेपी की दावेदारी थी**, लेकिन खबर है कि यह सीट चिराग पासवान के कोटे में चली गई है।
पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में इस सीट से बीजेपी के **हरि मांझी** प्रत्याशी थे, जिन्हें आरजेडी के **कुमार सर्वजीत** ने हराया था।
इस बार जीतनराम मांझी इस सीट पर खुद दावा ठोक रहे थे।
उधर, **मखदुमपुर (एससी) सीट** पर पिछली बार हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने **देवेंद्र मांझी** (जो जीतनराम मांझी के दामाद हैं) को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें आरजेडी के **सतीश कुमार** से हार का सामना करना पड़ा।
अब यह सीट भी चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को दी गई है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मांझी का यह कदम एनडीए के अंदर तनाव बढ़ा सकता है।
सीट बंटवारे के बाद जहां जेडीयू और बीजेपी ने अपने प्रत्याशी तय करने शुरू कर दिए हैं, वहीं घटक दलों की आपसी असहमति चुनावी समीकरणों को जटिल बना सकती है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी को लेकर मांझी ने कहा, “जब गठबंधन की बैठक में सीटों का बंटवारा तय हो गया, तो किसी को भी मनमानी करने का हक नहीं है। सीएम का नाराज होना स्वाभाविक है।”
उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य एनडीए को कमजोर करना नहीं, बल्कि उसके भीतर **अनुशासन और पारदर्शिता** बनाए रखना है।

अब देखना यह दिलचस्प होगा कि मांझी के इस बयान पर बीजेपी और लोजपा (रामविलास) की क्या प्रतिक्रिया आती है।
क्या यह बयान एनडीए के भीतर मतभेदों को और गहराएगा या फिर कोई सामंजस्य का रास्ता निकलेगा—यह आने वाले दिनों में तय होगा।
फिलहाल इतना तय है कि बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के अंदर की राजनीतिक गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है।

 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *