बिहार के मुजफ्फरपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने दहेज प्रथा की क्रूरता और अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी हैं। यहां एक महिला से उसके ससुरालवालों ने दहेज में गहने, कार या बाइक नहीं, बल्कि उसकी किडनी की मांग कर दी। पीड़िता का कसूर सिर्फ इतना था कि वह अपने पति की जान बचाने के लिए अपनी किडनी देने को तैयार नहीं थी। जब उसने इनकार किया, तो उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और आखिरकार घर से निकाल दिया गया।
यह शर्मनाक और चौंकाने वाली घटना मिठनपुरा थाना क्षेत्र की एक युवती के साथ हुई, जिसकी शादी वर्ष 2021 में बोचहां थाना क्षेत्र के रहने वाले एक युवक से हुई थी। शुरूआती कुछ महीनों तक सब कुछ सामान्य था। महिला को यह उम्मीद थी कि वह एक खुशहाल वैवाहिक जीवन बिताएगी। लेकिन कुछ ही समय बाद ससुराल वालों का असली चेहरा सामने आने लगा।
पीड़िता का आरोप है कि शादी के कुछ महीनों बाद ही पति और ससुरालवालों ने उस पर मायके से दहेज के रूप में नकद पैसे और एक बाइक लाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। जब महिला ने इसका विरोध किया तो उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा। बात-बात पर ताने, अपमान और दुर्व्यवहार उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गए।
महिला ने बताया कि शादी के दो साल बाद उसे एक और हैरान करने वाली सच्चाई का पता चला – उसके पति की एक किडनी खराब है। इसके बाद जो हुआ, वह और भी भयावह था। महिला ने बताया कि ससुराल वालों ने उसे साफ-साफ कह दिया कि अगर वह अपने मायके से पैसे या दहेज नहीं ला सकती तो कम से कम अपनी एक किडनी ही पति को दे दे, ताकि उसका जीवन बचाया जा सके।
शुरुआत में इस बात को सामान्य तरीके से कहा गया, लेकिन धीरे-धीरे यह दबाव बढ़ने लगा। उसे बार-बार मानसिक रूप से परेशान किया जाने लगा और हर बार किडनी देने का दबाव बनाया जाता। महिला का कहना है कि यह मांग पूरी तरह अमानवीय थी और उसने साफ मना कर दिया।
लेकिन किडनी देने से इनकार करना उसके लिए भारी पड़ गया। आरोप है कि इसके बाद ससुराल वालों ने उसे मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया। अपने मायके पहुंची महिला ने हिम्मत जुटाकर पुलिस का सहारा लिया और मिठनपुरा स्थित महिला थाना में जाकर अपनी आपबीती सुनाई।
महिला ने अपने पति सहित चार लोगों – सास, ससुर और देवर के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने शुरू में दोनों पक्षों को बुलाकर समझौता कराने की कोशिश की, लेकिन जब कोई नतीजा नहीं निकला, तो महिला थाना में कांड संख्या 38/25 के तहत मामला दर्ज किया गया।
इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते हुए तफ्तीश शुरू कर दी है। ग्रामीण एसपी विद्यासागर ने बताया कि “मिठनपुरा थाना क्षेत्र की एक युवती ने अपने पति और ससुरालवालों पर किडनी देने के लिए दबाव डालने और प्रताड़ित करने का गंभीर आरोप लगाया है। मामला महिला थाने में दर्ज कर लिया गया है और पुलिस सभी पहलुओं से जांच कर रही है।”
यह घटना केवल एक महिला की नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज को आईना दिखाने वाला मामला है। यह साबित करता है कि आज भी कई जगहों पर दहेज जैसी कुप्रथाएं किस तरह से महिलाओं को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से तोड़ रही हैं। अब सवाल यह है कि क्या ऐसी घटनाएं केवल एफआईआर और जांच के दायरे तक ही सीमित रहेंगी या फिर समाज और कानून दोनों मिलकर ऐसे अमानवीय मामलों पर कठोर कार्रवाई करेंगे?
दूसरी ओर, इस मामले ने महिला अधिकारों को लेकर काम करने वाले संगठनों को भी झकझोर कर रख दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता इसे एक ‘जीवित मानव अंग की जबरन मांग’ का मामला मानते हुए इसे संगीन अपराध की श्रेणी में लाने की मांग कर रहे हैं।
मामला अभी तफ्तीश के दौर में है, लेकिन यह घटना एक बड़ी सामाजिक बहस की मांग करती है — कि क्या दहेज की परिभाषा अब केवल संपत्ति और पैसे तक सीमित रह गई है या फिर मानव अंगों तक पहुंच चुकी है? क्या अब भी ऐसे अपराधी खुले घूमते रहेंगे या सख्त सजा का प्रावधान समाज में डर पैदा करेगा?
महिला ने कानून का सहारा लिया है, लेकिन उसे न्याय कब और कैसे मिलेगा, यह देखना बाकी है। फिलहाल पूरा मामला मुजफ्फरपुर पुलिस की जांच में है और देश की नजरें एक बार फिर उस व्यवस्था पर टिकी हैं जो महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान का दावा करती है।
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