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भागलपुर जिले में दहेज प्रताड़ना और हत्या के एक गंभीर मामले में अदालत ने अहम फैसला सुनाया है। काजल कुमारी की हत्या के मामले में उसके पति साजन यादव को दोषी पाते हुए जिला सत्र न्यायाधीश-15 की अदालत ने उसे 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने उस पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि साजन यादव जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करता है, तो उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

इस मामले की सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि जब काजल की हत्या हुई, उस वक्त वह गर्भवती थी। गर्भस्थ शिशु की मौत के लिए भी साजन यादव को जिम्मेदार मानते हुए अदालत ने उसे सात साल की अतिरिक्त सजा और 15 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

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यह दिल दहला देने वाली घटना 16 जून 2023 को घटित हुई थी, जब काजल कुमारी की उसके ही पति साजन यादव ने दहेज की मांग पूरी न होने पर बेरहमी से हत्या कर दी। काजल उस समय गर्भवती थी। घटना के बाद पीड़िता की मां सुशीला देवी ने भागलपुर के बरारी थाना में एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें दामाद साजन यादव को मुख्य अभियुक्त बनाया गया।

मामले की जांच शुरू होते ही पुलिस ने साजन यादव को गिरफ्तार किया और न्यायिक प्रक्रिया के तहत मामला अदालत में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक काशीनाथ मिश्रा ने मजबूती से केस की पैरवी की। उन्होंने अदालत के समक्ष यह साबित किया कि काजल कुमारी को लगातार दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता रहा और अंततः उसकी हत्या कर दी गई।

अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन ने काजल की मां और अन्य गवाहों के बयानों के साथ-साथ चिकित्सा रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, और घटनास्थल से मिले साक्ष्यों को पेश करते हुए यह सिद्ध कर दिया कि साजन यादव ही इस हत्या के लिए जिम्मेदार था। वहीं, बचाव पक्ष ने इसे पारिवारिक विवाद बताने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए अभियुक्त को दोषी करार दिया।

जिला सत्र न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह की घटनाएं समाज को झकझोर कर रख देती हैं और दहेज जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सख्त संदेश देने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी गर्भवती महिला की हत्या न केवल महिला के खिलाफ अपराध है, बल्कि यह एक अजन्मे बच्चे के जीवन के अधिकार का भी हनन है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

अदालत के फैसले के बाद पीड़िता की मां सुशीला देवी ने न्यायपालिका के प्रति विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें अब जाकर कुछ हद तक न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि काजल को तो वे वापस नहीं पा सकतीं, लेकिन उम्मीद है कि इस फैसले से अन्य बेटियों को न्याय दिलाने की राह मजबूत होगी।

इस पूरे मामले ने समाज में फिर एक बार यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक महिलाएं दहेज के नाम पर अपनी जान गंवाती रहेंगी। कानून की सख्ती और समय पर न्याय ही इस सामाजिक बुराई को समाप्त कर सकता है।

फिलहाल, अदालत के इस फैसले को समाज में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो दहेज के खिलाफ लड़ाई में एक अहम पड़ाव साबित हो सकता है।

 

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