बिहार के गोपालगंज जिले के कुचायकोट थाना परिसर में सावन पूर्णिमा के दिन हर साल एक अनोखा और अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। इस दिन पुलिसकर्मी अपनी वर्दी छोड़कर पीली धोती पहन लेते हैं, थानेदार मुख्य जजमान बनते हैं और थाना परिसर एक पवित्र धार्मिक स्थल में बदल जाता है। यहां माता सती की भव्य पूजा, हवन, भंडारा और प्रसाद वितरण किया जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच सांस्कृतिक व आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक भी है।
**1865 से जारी परंपरा**
इस अनूठी परंपरा की शुरुआत 1865 में हुई थी। मान्यता है कि उस समय कुचायकोट के रहने वाले कवल यादव की अचानक मृत्यु हो गई थी। उनकी पत्नी उस समय गांव में दही बेचने गई थीं। जब उन्हें पति की मौत की खबर मिली तो वे चिता स्थल पर पहुंचीं। गांववालों ने काफी प्रयास किया लेकिन कवल यादव की चिता में आग नहीं लग पा रही थी। जैसे ही उनकी पत्नी अपने पति के शव को गोद में लेकर चिता पर बैठीं, अचानक चिता में स्वतः आग लग गई और वे सती हो गईं। इस घटना से प्रभावित होकर उसी स्थान पर थाना भवन का निर्माण किया गया। तब से सावन पूर्णिमा के दिन पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग मिलकर यहां माता सती की पूजा करते हैं।

**अंग्रेजी शासन से जारी रिवाज**
अंग्रेजी हुकूमत के समय से चली आ रही इस परंपरा का स्वरूप आज भी वैसा ही है। थानेदार इस दिन मुख्य जजमान बनते हैं और पीली धोती पहनकर पूजा में शामिल होते हैं। अन्य पुलिसकर्मी भी पारंपरिक वेशभूषा धारण कर धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेते हैं। हवन, भंडारा और प्रसाद वितरण पूरे धूमधाम से होता है, जिसमें ग्रामीण भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
**शांति और समरसता का प्रतीक**
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस पूजा से पूरे क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि बनी रहती है। यह आयोजन पुलिस और जनता के बीच विश्वास और भाईचारे को मजबूत करता है। थानाध्यक्ष के अनुसार, “यह परंपरा हमारे लिए सम्मान और आस्था का विषय है। माता सती की पूजा से पूरे साल सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा का वातावरण बना रहता है।”
सावन पूर्णिमा पर कुचायकोट थाना परिसर का माहौल किसी धार्मिक मेले जैसा होता है। श्रद्धालु सुबह से ही जुटने लगते हैं, पुलिसकर्मी और ग्रामीण मिलकर पूजा की तैयारियां करते हैं, और पूरा वातावरण भक्ति और आस्था में डूबा रहता है। यह परंपरा न केवल बिहार में बल्कि पूरे देश में पुलिस और समाज के रिश्ते की मिसाल पेश करती है।
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