भागलपुर के इस्लामनगर स्थित इमामबाड़ा के पास झुग्गी-झोपड़ी संघर्ष समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता समिति के संयोजक मो. कासिम ने की जबकि संचालन मो. हाशिम ने किया। बैठक में बड़ी संख्या में झुग्गी-झोपड़ी के वाशिंदे उपस्थित रहे और उन्होंने अपनी-अपनी समस्याओं एवं व्यथा को साझा किया।
बैठक में बीबी शम्सुन ने कहा कि हमें रेलवे की ओर से जगह खाली करने का नोटिस मिला है, जबकि हम पिछले 35 वर्षों से यहां संघर्ष करके रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसी संघर्ष की बदौलत आज उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल हुआ, राशन कार्ड बना और पानी-बिजली की सुविधा भी मिली। यह स्थान अब केवल आश्रय स्थल नहीं, बल्कि उनकी पहचान बन चुका है।
समिति के सदस्य उदय ने कहा कि कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन गरीबों का संघर्ष आज भी जारी है। बिहार सरकार ने भूमिहीनों को 3 डिस्मिल जमीन देने का वादा किया था और केंद्र सरकार ने 2022 तक सबको पक्का मकान उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। दुर्भाग्यवश, आज तक यह वादा अधूरा है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने भी भरोसा दिलाया था कि स्थायी आवास उपलब्ध कराए बिना किसी को उजाड़ा नहीं जाएगा।

बैठक में ललन ने कहा कि यह जमीन ईश्वर की बनाई हुई है, रेलवे इसे कहीं से लाकर नहीं बना सकता। यदि रेलवे को विकास कार्य करना है, तो वह करे, लेकिन प्रभावित परिवारों को बिहार सरकार अन्यत्र बसाए। वहीं नियामत ने आरोप लगाया कि आसपास के कुछ लोग चाहते हैं कि यहां से झुग्गी-झोपड़ी हटाई जाए ताकि इस जमीन पर सड़क बन सके। इसी साजिश के तहत रेलवे की आड़ लेकर लोगों को उजाड़ने की कोशिश हो रही है।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 9 सितंबर को समाहरणालय पर धरना दिया जाएगा और जिलाधिकारी को स्मारपत्र सौंपा जाएगा। समिति ने चेतावनी दी कि जब तक स्थायी आवास की व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक किसी भी हाल में झुग्गी-झोपड़ी के परिवार यहां से नहीं हटेंगे।

संगठन को मजबूत करने के लिए समिति ने पुनर्गठन किया। मो. कासिम को पुनः संयोजक और मो. टिंकू को सह-संयोजक चुना गया। इसके अलावा मो. गुन्नू, मो. छोटू, बीबी शम्सुन, बीबी ईदा, मो. नियामत, बीबी अफसाना, बीबी रसीदा, बीबी मुस्तरी आदि को सदस्य बनाया गया। इस अवसर पर वोटर लिस्ट कॉर्डिनेटर अभिषेक ने उपस्थित लोगों को नाम जोड़ने की प्रक्रिया संबंधी विस्तृत जानकारी दी।
यह बैठक न केवल संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प थी, बल्कि आने वाले दिनों में गरीबों के अधिकारों की लड़ाई को और तेज करने का भी संकेत बन गई।
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