जामताड़ा पुलिस ने एक बड़े ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो दूसरों की संपत्ति को अपना बताकर बेचने का खेल रचते थे। इस बार गिरोह ने एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को निशाना बनाकर 89 लाख रुपये की ठगी की थी। पुलिस ने मामले में एक महिला समेत कुल 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
कैसे हुआ ठगी का खेल?
दरअसल, देवघर निवासी सेवानिवृत्त कर्मचारी मुकेश रवानी जामताड़ा में मकान खरीदने की तलाश कर रहे थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात गिरोह के सदस्य घनश्याम महतो और विक्रम महतो से हुई। दोनों ने जामताड़ा स्टेशन के पास स्थित एक मकान दिखाया और दावा किया कि यह मकान पंचानन दास और उसके परिवार का है।
असली मालिक का नाम छुपाकर ठगों ने फर्जी कहानी गढ़ी और भरोसा दिलाया कि वे इस मकान को बेच सकते हैं। रिटायर्ड कर्मचारी उनके झांसे में आ गए और 84 लाख रुपये जीसू सरकार नामक आरोपी के खाते में ट्रांसफर कर दिए। बाद में आरोपियों ने पूरी रकम आपस में बांट ली।
जब खुला मामला
ठगी की सच्चाई तब सामने आई जब पीड़ित ने रजिस्ट्री कराने का दबाव बनाया। गिरोह लगातार टालमटोल करने लगा। शक होने पर पीड़ित ने जामताड़ा थाना में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस जांच में पता चला कि दिखाया गया मकान असल में कोलकाता निवासी समीर सरकार का है, जिसका इन ठगों से कोई संबंध नहीं था।
गिरोह का नेटवर्क
पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह में शामिल 6 आरोपी –
1. घनश्याम महतो
2. विक्रम महतो
3. पंचानन दास
4. सरर्खेल (महिला आरोपी)
5. परिमल कुमार
6. जीसू सरकार
ये सभी संगठित तरीके से रिटायर्ड कर्मचारियों और भोले-भाले ग्रामीणों को निशाना बनाते थे। उनका तरीका साफ था – किसी दूसरे की संपत्ति को अपना बताकर दिखाना और दस्तावेज़ी प्रक्रिया से पहले मोटी रकम हड़प लेना।
एसपी का बयान
जामताड़ा एसपी राजकुमार मेहता ने बताया –
> “गिरोह के सदस्य पेशेवर ठग हैं। यह लोग खासकर रिटायर्ड कर्मचारियों को निशाना बनाते हैं। किसी और के घर और जमीन को अपना बताकर लाखों रुपये ठग लेते हैं। पकड़े गए आरोपियों से कड़ी पूछताछ जारी है और इनके पुराने अपराधों की भी जांच की जा रही है।”
एसपी ने आम जनता से अपील की कि मकान-जमीन खरीदने से पहले रजिस्ट्री, जमाबंदी और स्वामित्व की सही जांच जरूर करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
जमीन माफियाओं का अड्डा बना जामताड़ा
पुलिस ने चेताया कि जामताड़ा में जमीन दलाल और माफिया काफी सक्रिय हैं। कई बार सरकारी जमीन और *पतित भूमि* तक को बेच दिया जाता है। मिहिजाम के बुटबेरिया मौजा की जमीन, जो सरकारी रिकॉर्ड में *पुरातन पतित* दर्ज है, उसे भी दलालों ने बेच डाला। इन मामलों में मुकदमे दर्ज हैं लेकिन गिरोह लगातार नए-नए तरीकों से भोले-भाले लोगों को फंसाते रहते हैं।
पीड़ित की आपबीती
पीड़ित सेवानिवृत्त कर्मचारी मुकेश रवानी ने बताया –
> “हमें भरोसा दिलाया गया कि यह मकान पंचानन दास का है। कहा गया कि मालिक का बेटा और बहू भी सहमति दे चुके हैं। हमने पूरी राशि दे दी। लेकिन बाद में पासबुक और रजिस्ट्री दोनों से बचने लगे। आखिरकार हमें समझ आया कि यह ठगी है।”
उनके मुताबिक, गिरोह ने शुरू से ही उन्हें लालच और झूठे दस्तावेजों के सहारे गुमराह किया।
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने गिरोह के सभी 6 सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अब इस मामले की विस्तृत जांच जारी है कि क्या इनके तार किसी बड़े नेटवर्क से भी जुड़े हैं।
निष्कर्ष
जामताड़ा में 89 लाख की ठगी का यह मामला एक बार फिर जमीन और मकान माफियाओं की सच्चाई उजागर करता है। पुलिस की कार्रवाई से भले ही फिलहाल एक गिरोह पकड़ा गया हो, लेकिन जमीन और संपत्ति के नाम पर चल रहा यह अवैध धंधा अभी भी पूरी तरह थमा नहीं है। ऐसे में खरीदारों को और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।
