भागलपुर के बुढ़ानाथ मंदिर रोड स्थित अशोक भवन में एक विशेष विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना था। यह शिविर सितारा 2023 स्कीम के तहत आयोजित किया गया, जो विशेष रूप से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी सशक्तिकरण की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही एक महत्वपूर्ण योजना है।
इस जागरूकता शिविर की मुख्य संचालिका भागलपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) की सब जज सह सचिव रंजीता कुमारी रहीं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि समाज के हर वर्ग तक न्याय पहुंचाना और सभी को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना न्यायपालिका की मूल भावना है। उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के समक्ष आने वाली कानूनी चुनौतियों, भेदभाव और सामाजिक अस्वीकार्यता जैसे मुद्दों पर भी गंभीर चर्चा की और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आश्वस्त किया कि न्यायिक प्रणाली उनके साथ खड़ी है।
शिविर में DLSA की पैनल अधिवक्ता वंदना भारती ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को संबोधित करते हुए उनके कानूनी अधिकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 ट्रांसजेंडर समुदाय को समानता, स्वतंत्रता और गरिमा का अधिकार प्रदान करते हैं। उन्होंने नालसा बनाम भारत सरकार के ऐतिहासिक फैसले का जिक्र करते हुए बताया कि यह निर्णय ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक मील का पत्थर है, जिसमें उन्हें “थर्ड जेंडर” के रूप में मान्यता दी गई।
विधिक जानकारी के साथ-साथ पैरा लीगल वालंटियर शुभम कुमार ने सितारा 2023 स्कीम की प्रमुख बातों पर भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को स्वास्थ्य, शिक्षा, पहचान पत्र, स्किल डेवलपमेंट और स्वरोजगार की दिशा में सहायता दी जाती है। योजना का उद्देश्य न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय को मुख्यधारा में लाना है, बल्कि उन्हें सम्मान और स्वावलंबन की दिशा में बढ़ावा देना भी है।
शिविर में भाग लेने वाले ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सक्रिय सहभागिता देखने को मिली। ट्रांसजेंडर समिति की सदस्य कोमल अंजलि और पायल ने न केवल कार्यक्रम में हिस्सा लिया, बल्कि अपने अनुभव भी साझा किए। कोमल अंजलि ने कहा, “हम वर्षों से समाज की उपेक्षा का शिकार रहे हैं, लेकिन ऐसे कार्यक्रमों से हमें यह महसूस होता है कि अब बदलाव की शुरुआत हो चुकी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी और न्यायिक संस्थाओं द्वारा ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि गांव-गांव तक जानकारी पहुंचे और हर ट्रांसजेंडर व्यक्ति सशक्त बन सके।
कार्यक्रम का एक खास आकर्षण यह रहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव और पैनल अधिवक्ताओं ने ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को अंग वस्त्र और पौधे भेंट कर उनका सम्मान किया। यह एक प्रतीकात्मक संदेश था कि समाज को न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय को अपनाना चाहिए, बल्कि उन्हें बढ़ने और समाज में योगदान देने का अवसर भी प्रदान करना चाहिए।
इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों ने पौधा वितरण के महत्व पर भी चर्चा की और कहा कि जैसे एक पौधा धीरे-धीरे बढ़ता है और समाज को जीवनदायिनी ऑक्सीजन देता है, वैसे ही ट्रांसजेंडर समुदाय को भी उचित अवसर देकर समाज का अभिन्न और उपयोगी अंग बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से सभी सहभागियों, अतिथियों और ट्रांसजेंडर प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया गया। यह शिविर समाज में समावेशी सोच को बढ़ावा देने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास था, जो न केवल ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सशक्त करेगा, बल्कि आम नागरिकों में भी संवेदनशीलता और जागरूकता को बढ़ावा देगा।
भागलपुर में आयोजित यह विधिक जागरूकता शिविर इस बात का जीवंत उदाहरण है कि जब सरकारी संस्थाएं, न्याय व्यवस्था और समाज एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तो बदलाव संभव है। ऐसे आयोजन भविष्य में भी होते रहें, इसी अपेक्षा के साथ यह कार्यक्रम एक सकारात्मक संदेश छोड़ गया।
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