हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पावन पर्व को जन्माष्टमी या कृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता है। यह दिन न केवल भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रतीक है, बल्कि यह भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा, प्रेम और भक्ति का उत्सव भी है।
साल 2025 में जन्माष्टमी का पर्व विशेष संयोग लेकर आ रहा है। इस बार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 15 अगस्त को पड़ रही है, जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा होगा। यानी इस बार स्वतंत्रता और भक्ति का संगम एक ही दिन देखने को मिलेगा। इस कारण भक्तों में उत्साह और श्रद्धा का विशेष माहौल रहेगा।
भगवान श्रीकृष्ण को हिन्दू धर्म में विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। वे प्रेम, ज्ञान, नीति और धर्म के अद्भुत प्रतीक हैं। गीता के उपदेशों से लेकर बाल्यकाल की लीलाओं तक, श्रीकृष्ण का जीवन हमें सत्य, धर्म और प्रेम की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
🕉️ कृष्ण जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2025
- अष्टमी तिथि प्रारंभ : 15 अगस्त 2025, रात 11:49 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त : 16 अगस्त 2025, रात 09:34 बजे
- चंद्रोदय समय : 15 अगस्त की रात 11:32 बजे
- जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त : 16 अगस्त की देर रात 12:04 से 12:47 तक (कुल अवधि 43 मिनट)
- मध्यरात्रि का क्षण : 17 अगस्त, 12:25 AM
- रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ : 17 अगस्त 2025, सुबह 04:38 बजे
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त : 18 अगस्त 2025, सुबह 03:17 बजे
- व्रत पारण समय : 17 अगस्त को प्रातः 05:51 बजे के बाद
🙏 जन्माष्टमी व्रत और पूजा विधि
जन्माष्टमी के दिन भक्त सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं और दिनभर व्रत रखते हैं। इस व्रत में अन्न का सेवन वर्जित होता है। भक्त केवल फल, दूध, दही, छाछ या हल्का पेय पदार्थ ग्रहण कर सकते हैं।
पूजा के लिए तुलसी के पत्ते, गंगा जल, फल, फूल, धूप-दीप, चंदन, हल्दी, मिठाई और श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर आवश्यक होती है।
शाम को भक्त भजन-कीर्तन और श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हुए जागरण करते हैं। जैसे ही रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म का शुभ क्षण आता है, भक्त श्रीकृष्ण को पंचामृत स्नान कराते हैं और उन्हें विविध प्रकार के फूल, फल व मिठाइयाँ अर्पित करते हैं।
🌺 जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि जीवन को सकारात्मक दिशा देने वाला उत्सव है। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में अनेक संघर्षों के बावजूद धर्म की रक्षा की और अधर्म का नाश किया। उनके उपदेश हमें बताते हैं कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, सत्य और धर्म का मार्ग ही जीवन को सफल और सुखमय बनाता है।
इस बार स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी का एक साथ आना और भी खास है, क्योंकि यह हमें बाहरी स्वतंत्रता के साथ-साथ आत्मिक स्वतंत्रता की भी प्रेरणा देता है।
इस पावन अवसर पर भक्त यदि श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं तो उनके जीवन से न केवल दुखों का नाश होता है, बल्कि सुख, शांति और समृद्धि का आगमन भी होता है।
👉 तो इस जन्माष्टमी पर नंदलाल का स्वागत करें भक्ति और प्रेम के साथ, और उनके उपदेशों को अपने जीवन में उतारकर जीवन को सफल बनाएं।
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