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बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहा इलाके में मंगलवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को दहशत और आक्रोश से भर दिया। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटे रघिया वन क्षेत्र अंतर्गत चम्पापुर दोन में एक जंगली भैंसे (गौर) ने रिहायशी इलाके में आकर गन्ना के खेत में काम कर रही एक महिला पर हमला कर दिया। महिला की पहचान 43 वर्षीय सोनी देवी के रूप में हुई है, जो खेत में सोहनी (गन्ने की सफाई) करने गई थी। हमले में बुरी तरह घायल हुई महिला को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

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खेत में काम कर रही थी महिला, अचानक हुआ हमला

मंगलवार की दोपहर इंद्रजीत उरांव की पत्नी सोनी देवी चम्पापुर दोन गांव के पास अपने गन्ना के खेत में काम कर रही थी। उसी दौरान वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल से एक विशालकाय गौर (जंगली भैंसा) खेत की ओर आ गया। वहां पहले से मौजूद कुछ अन्य किसान भी काम कर रहे थे। जैसे ही जंगली भैंसे ने हमला किया, सभी जान बचाकर भाग खड़े हुए, लेकिन दुर्भाग्यवश सोनी देवी उसकी चपेट में आ गई।

गौर ने अपने नुकीले सींगों से सोनी देवी पर जोरदार हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि हमला इतना भयानक था कि महिला का पेट फट गया और उसकी आंतें बाहर आ गईं। परिजनों और ग्रामीणों ने आनन-फानन में घायल महिला को पहले रामनगर उप-स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां से उसे बेहतर इलाज के लिए जीएमसीएच रेफर कर दिया गया। लेकिन बुधवार की सुबह इलाज के क्रम में महिला की मौत हो गई।

वन विभाग ने की पुष्टि, मिलेगा मुआवजा

घटना की पुष्टि करते हुए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन संरक्षक सह निदेशक डॉ नेशामणि ने कहा कि घटना की सूचना मिलते ही विभाग ने तत्परता से कार्रवाई की। महिला को तत्काल एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी जान नहीं बच सकी। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा जांच की जा रही है और नियमानुसार पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाएगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रिहायशी क्षेत्रों में यदि किसी वन्य जीव द्वारा हमला होता है, तो पीड़ित को वन विभाग की ओर से मुआवजा देने का प्रावधान है। इस मामले में भी पूरी प्रक्रिया के तहत पीड़िता के परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाएगी।

जंगली भैंसा: ताकतवर और खतरनाक

जंगली भैंसे को गौर के नाम से जाना जाता है और यह भारत के सबसे ताकतवर वन्य जीवों में से एक माना जाता है। वन्य जीवों के जानकार वी डी संजू के अनुसार, “गौर एक शाकाहारी जानवर होता है, लेकिन यह बेहद ताकतवर और आक्रामक प्रवृत्ति का होता है। यह आमतौर पर झुंड में रहता है और जब खतरा महसूस करता है तो जानलेवा हमला कर सकता है।”

उन्होंने बताया कि गौर की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर यह किसी बोलेरो या स्कॉर्पियो जैसी गाड़ी से टकरा जाए तो उसे 10 से 12 फीट दूर उछाल सकता है। यही वजह है कि जंगल के अन्य हिंसक जानवर जैसे बाघ भी गौर के सामने आने से कतराते हैं।

ग्रामीणों में दहशत और आक्रोश

इस दर्दनाक हादसे के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। ग्रामीणों में वन विभाग के प्रति आक्रोश भी देखने को मिला। उनका कहना है कि जंगल से सटे गांवों में इस तरह के हमले पहले भी हो चुके हैं, लेकिन वन विभाग की ओर से अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है।

ग्रामीणों ने मांग की है कि वन्य जीवों की बढ़ती आबादी और उनके रिहायशी इलाकों में घुसने की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए और उनके आने-जाने पर नियंत्रण के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं। साथ ही, पीड़ित परिवार को सिर्फ आर्थिक मुआवजा ही नहीं, बल्कि स्थायी सहायता और सुरक्षा की गारंटी भी दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष

बगहा की यह घटना सिर्फ एक महिला की मौत भर नहीं है, बल्कि यह जंगल और इंसानी बस्तियों के बीच लगातार सिकुड़ती दूरी का प्रतीक भी है। जंगली जानवरों का रिहायशी इलाकों में आना और हमले करना अब आम होता जा रहा है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि वन विभाग, प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर इस संकट से निपटने के लिए कारगर कदम उठाएं, ताकि भविष्य में किसी और मासूम की जान न जाए।

इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि विकास और संरक्षण के संतुलन को किस तरह बेहतर तरीके से साधा जाए। फिलहाल, बगहा की धरती पर एक और घर में मातम पसरा हुआ है, और एक परिवार न्याय और सहायता की उम्मीद लगाए बैठा है।

 

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