बिहार के भागलपुर जिले से गुरु-शिष्य की परंपरा को कलंकित करने वाला सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां कहलगांव अनुमंडल के रसलपुर थाना क्षेत्र स्थित एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक पर दो नाबालिग छात्राओं को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित परिवार की शिकायत पर रसलपुर थाना में आरोपी शिक्षक के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज किया गया है। मामले की जांच तेज कर दी गई है, लेकिन घटना के 13 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक छात्राएं बरामद नहीं हो सकी हैं और आरोपी शिक्षक भी फरार है।
इस हैरान कर देने वाली घटना की शुरुआत 27 मई को हुई। बताया जा रहा है कि सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाला यह शिक्षक छुट्टी के अगले ही दिन से लापता है, और उसी दिन से स्कूल की दो नाबालिग छात्राएं भी गायब हैं। दोनों छात्राएं कक्षा 9वीं की हैं और उनके परिवार वालों ने साफ तौर पर शिक्षक पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह दोनों को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया है।
पीड़ित छात्राओं के परिजनों ने बताया कि शिक्षक उनके बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाता था और इसी दौरान उसने छात्राओं को अपने जाल में फंसा लिया। परिजनों के अनुसार शिक्षक के पास दो मोबाइल नंबर थे, जिनसे वह छात्राओं से अलग-अलग बातचीत करता था। एक बार जब एक छात्रा अपने घर की छत पर फोन पर बात कर रही थी, तो उसके पिता ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। पूछताछ के दौरान छात्रा ने बताया कि मोबाइल और सिम कार्ड उसे शिक्षक ने ही दिया है।
यह मामला यहीं नहीं रुका। छात्रा ने खुलासा किया कि उसकी एक सहेली भी उसी शिक्षक से बातचीत करती है और उसे भी मोबाइल मिला है। जब परिजनों ने शिक्षक से बात करने की कोशिश की, तो उसने उल्टे उन्हें धमकाया और डराने की कोशिश की। इसके बाद परिजन स्कूल पहुंचे और प्राचार्य को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। लेकिन स्कूल प्रशासन ने भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और 10 दिन के अंदर ही शिक्षक दोनों छात्राओं को लेकर फरार हो गया।
पीड़ित परिवार की मानें तो शिक्षक कभी स्कूल में हाजिरी बना कर दोनों छात्राओं को बाजार ले जाया करता था और पूछने पर कहता कि पढ़ाई के सिलसिले में ले जा रहा है। एक छात्रा की मां ने बताया, “मेरी बेटी जिस स्कूल में पढ़ती थी, उसी स्कूल के शिक्षक ने उसे अगवा किया है। उसने मोबाइल भी दिया था और बाद में हमलोगों ने वह मोबाइल जब्त कर थाने में जमा कर दिया है।”
भागलपुर के एसएसपी हृदयकांत ने बताया कि आरोपी शिक्षक के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर लिया गया है और पुलिस लगातार तकनीकी अनुसंधान के आधार पर छापेमारी कर रही है। एसएसपी ने भरोसा जताया है कि जल्द ही छात्राओं की बरामदगी कर ली जाएगी। पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज में आरोपी शिक्षक 27 मई की रात करीब 1:06 बजे छात्राओं के साथ जाते हुए साफ नजर आ रहा है। यह फुटेज उस मकान के पास लगे कैमरे से मिला है, जहां शिक्षक किराए पर रहता था और कोचिंग भी चलाता था।
इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग की उदासीनता भी उजागर हो रही है। बालदेव ठाकुर, जो कि कहलगांव के प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी हैं, ने कहा कि वे 31 मई को पदभार संभाले हैं और इसके बाद से स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गई थीं। इसलिए उन्हें घटना की पूरी जानकारी नहीं है। यह बयान प्रशासनिक लापरवाही की ओर भी इशारा करता है।
इस शर्मनाक घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। जहां एक ओर परिजन अपनी बेटियों की सकुशल वापसी की गुहार लगा रहे हैं, वहीं पुलिस के लिए यह मामला एक बड़ी चुनौती बन गया है। शिक्षक बांका जिले के बौसी प्रखंड का रहने वाला है, और अब पुलिस उसके गांव व संभावित ठिकानों पर लगातार छापेमारी कर रही है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या एक शिक्षक, जिसे समाज में सबसे जिम्मेदार और आदर्श माना जाता है, वह इस तरह की घिनौनी हरकत कैसे कर सकता है? क्या सिर्फ तकनीकी अनुसंधान और सीसीटीवी फुटेज से दोषी को पकड़ने में देरी हो रही है या कहीं न कहीं सिस्टम की सुस्ती भी इस अपराध को बढ़ावा दे रही है?
फिलहाल पुलिस की कई टीमें आरोपी शिक्षक और दोनों छात्राओं की तलाश में लगी हुई हैं। परिजनों का एक ही सवाल है – **”क्या हमारी बेटियां सुरक्षित हैं?”** और इसी सवाल का जवाब देना अब कानून-व्यवस्था की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन चुकी है।
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